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लालू का वैसे तो सीबीआई से वास्ता काफी पुराना है लेकिन आज सीबीआई ने उनके खिलाफ रेलवे की प्रॉपर्टी को हथियाने के मामले में शिकंजा कस दिया. न सिर्फ एफआईआर दर्ज किया बल्कि.
लालू की पत्नी और बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव से भी सीबीआई ने उनके घर पर पूछताछ की. सीबीआई ने अपनी एफआईआर में जिस तरह से इस पूरे घोटाले के बारे में सिलसिलेवार तरीके से जिक्र किया है, हम आपको यहां बता रहे हैं.
2001 में रेलवे बोर्ड ने फैसला लिया कि कैटरिंग सर्विस और होटल की पूरी जिम्मेदारी को दे दी जाए. इन्हीं होटल प्रॉपर्टी में से एक बीएनआर होटल के दो ब्रांच रांची और पुरी का भी हस्तांतरण आईआरसीटीसी को किया जाना था. 2004 में इसके लिए समझौता तैयार हुआ.
सीबीआई ने अपने एफआईआर कॉपी में जिक्र किया है कि जांच में पता चला कि 2004 में ये उस वक्त हुआ जब लालू यादव रेल मंत्री थे. मंत्री बनने के साथ ही रेलवे की प्रॉपर्टी को आईआरसीटीसी को सौंपने के दौरान लालू ने एक आपराधिक षड्यंत्र रचा.
इसमें उनका साथ दिया विनय कोचर और सरला गुप्ता ने. 25 फरवरी 2005 को 3 एकड़ की प्राइम कॉमर्शियल प्रॉपर्टी 1.47 करोड़ में सरला गुप्ता की कंपनी डीएमसीएल को बेच दिया गया. इसे तत्कालीन सर्किल रेट से काफी कम दाम पर कथित तौर पर सरला गुप्ता की बेनामी कंपनी को बेच दिया गया. इस जमीन को भी एग्रीकल्चर लैंड दिखाया गया जबकि वह कॉमर्शियल प्रॉपर्टी थी. ये जमीन कोचर द्वारा ही सरला गुप्ता की कंपनी को बेचा गया.
रांची और पुरी के बीएनआर होटल के हस्तांतरण में धांधली की गई. बजाए कि ओपेन बिड जारी करने के आईआरसीटीसी के अधिकारियों ने नोटिस टेंडर की जगह त्रुटि सुधार विज्ञापन जारी किया. सीबीआई के मांगने पर भी आईआरसीटीसी के पास उस डील के लिए मंगाए गए आवेदनकर्ताओं की जानकारी भी नहीं मिली.
सीबीआई को जांच में पता चला कि 3 एकड़ की जमीन जिसे डीएमसीएल को बेचा गया उसकी उस वक्त बाजार में कीमत 1.93 करोड़ थी जबकि इसे 1.47 करोड़ में बेचा गया. इसके अलावा 2010 से लेकर 2014 के बीच डीएमसीएल के शेयर को लालू यादव के परिवार को धीरे धीरे ट्रांसफर किया जाने लगा और 2014 में जब डीएमसीएल के सभी शेयर लालू यादव और उनके परिवार के नाम ट्रांसफर हुए तब उस प्रॉपर्टी की कीमत 32.5 करोड़ हो गई थी.
जबकि उसी प्रॉपर्टी की मार्केट रेट 94 करोड़ आंकी गई. डीएमसीएल की सारी प्रॉपर्टी और शेयर मात्र 64 लाख में लालू यादव और उनके परिवार के नाम पर ट्रांसफर किया गया.
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