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मुझे नहीं लगता भारत का संविधान जलाना आसान होता, यदि 70 साल से लगातार इसे एक व्यक्ति (बाबा) का संविधान नहीं प्रचारित किया गया होता? इसलिए जहां भारत का संविधान जलाना चिंता का विषय बनाया जा रहा है, वहीं भारत के संविधान को लगातार 70 साल से एक बाबा का संविधान बोलकर/बताकर प्रचारित और दुष्प्रचारित किया जाना, इससे भी अधिक चिंता का विषय क्यों नहीं रहा?
मुझे लगता है कि संविधान को जलाने का यह कृत्य, वास्तव में बाबाभक्तों के दुष्प्रचार की ही दुःखद परिणिती है! यही वजह है कि इस अवसर पर मुझे सार्वजनिक रूप से यह पूछने की जरूरत महसूस हो रही है कि संविधान जलाने वालों ने कौनसा संविधान जलाया है-भारत का संविधान या बाबा का संविधान? यदि बाबा का संविधान जलाया है, तो कोई चिंताजनक बात नहीं! एक झूठ को जलाकर राख कर दिया, लेकिन यदि वाकयी किसी ने भारत का संविधान जलाया है तो दुःखद और चिंता का विषय है?
लेकिन मुझे नहीं लगता कि संविधान जलाने वालों के मन में कभी भारत के संविधान को जलाना तो दूर एक भी शब्द संविधान के खिलाफ बोलने की इच्छा जागती, यदि 70 साल से लगातार भारत के संविधान को बात-बात पर एक बाबा का संविधान बतलाकर दुष्प्रचारित नहीं किया गया होता?
अतः संविधान को जलाकर संविधान की गरिमा को नष्ट करने की सजा यदि किसी को मिलनी चाहिये तो तो सबसे पहले उन लोगों को मिलनी चाहिये जो संविधान पर हस्ताक्षर करने वाले 284 संविधान सभा के माननीय सदस्यों का 70 साल से लगातार और सार्वजनिक रूप से अपमान करते आ रहे हैं। जो संविधान सभा के अविस्मरणीय विधायी कार्यों की धज्जियां उड़ाते हुए भारत के संविधान को एक बाबा द्वारा निर्मित संविधान बतलाने का अक्षम्य अपराध करके देश और दुनिया को गुमराह करते आये हैं। हर बात की सीमा और अति होती है? बाबा भक्तों के झूठ के षड्यन्त्र का घड़ा भरकर फूट गया।
हम भारत के संविधान का अपमान करने वालों की कड़े शब्दों में निंदा और भर्त्सना करते हैं। भारत के प्रधानमंत्री मोदी सहित उन सभी लोगों को संविधान का अपमान करने की सजा मिलनी चाहिए, जो वोट की खातिर इसे केवल एक अकेले बाबा का संविधान बतलाकर संविधान सभा सहित समस्त देशवासियों का अपमान करने और देश को लोगों को गुमराह करने का अपराध करते आ रहे हैं।
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