बैतूल// रामकिशोर पंवार ( टाइम्स ऑफ क्राइम)
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आदिवासी बाहुल्य बैतूल जिले में लगातार बच्चों की अज्ञात कारणो से हो रही मौते तथा कुपोषण के बढ़ते खतरे के बाद भी महिला बाल विकास परियोजना अधिकारियों की मनमर्जी पूरे जिले में महिला बाल विकास परियोजनाओं को पलीता लगाने के लिए काफी है। बैतूल जिले में वैसे तो महिला बाल विकास विभाग के पास लम्बा चौड़ा मोहकमा है जिसमें 12 परियोजना , 75 सुपरवाइजर , 5 हजार आंगनबाडी कार्यकत्र्ता एवं सहायिकाओं का जिले की 558 ग्राम पंचायतो में पदस्थापना है लेकिन उनके कार्य कैसे हो रही यह बताने के लिए एक उदाहरण ही काफी है। बैतूल जिले के कोठी बाजार स्थित जिला मुख्यालय के महिला एवं बाल विकास विभाग की चिचोली जनपद परियोजना कार्यालय में पदस्थ एक परियोजना अधिकारी श्रीमति मनोरमा गढ़वाल द्वारा अपनी पदस्थापना स्थल महिला बाल विकास परियोजना कार्यालय चिचोली में उपस्थित न रह कर शासकीय वाहन कं्रमाक एम पी 05 5315 का नियम विरूद्ध दुरूप्रयोग किया जा रहा है। पिछले एक साल से अधिक समय से उक्त महिला परियोजना अधिकारी द्वारा नियम विरूद्ध जिला मुख्यालय पर जेएच कालेज रोड के पीछे अवस्थी कालेनी सिविल लाइन बैतूल में किराए के मकान में निवास किया जा रहा है। महिला अधिकारी को प्रदत शासकीय वाहन बैतूल जिला मुख्यालय पर महिला अधिकारी के घर पर रात्री में खड़ा रहता है तथा यही से महिला अधिकारी द्वारा उक्त वाहन से आना जाना किया जाता है। अपने वाहन की लाग बुक को शासकीय विजीट कर पूर्ति की जा रही है। चिचोली के एक जागरूक नागरिक नवीन कुमार आर्य की सुझबुझ से उक्त बेहद गंभीर मामला जन प्रकाश में आया है। उक्त महिला एवं बाल विकास परियोजना अधिकारी चिचोली ने ऐसे समय में शासकीय वाहन का नीजी कार्यो में उपयोग किया है जब उनके जनपद क्षेत्र की 34 ग्राम पंचायतों में उन्हे निरीक्षण किया जाना था कि शासकीय योजनाएं सांझा चुल्हा , सबला परियोजना , किशोर बालिका परियोजना संचालित हो रही हैं। अभी हाल ही में पाढऱ में मध्यान भोजन सांझा कार्यक्रम के तहत छिपकली युक्त भोजन बनने का गंभीर मामला प्रकाश में आने के बाद भी परियोजना अधिकारियों का इस तरह का लापरवाही पूर्ण कार्य किसी बड़े हादसे को जन्म दे सकता हैं। उल्लेखनीय है कि जिला मुख्यालय पर निवास करने के नियम को तोडऩे के साथ-साथ बिना कारण शासन के पिछले तीन साल में करीब चार लाख रूपए अपव्यय करवाए हैं। परियोजना अधिकारी मनोरमा गढ़वाल पिछले तीन वर्ष से चिचोली में पदस्थ है लेकिन वह चिचोली में निवास न करते हुए जिला मुख्यालय बैतूल में रहती है। प्रतिदिन वे सरकारी वाहन से चिचोली अप-डाउन कर रही है। यदि उनके आने-जाने में खर्च होने वाले डीजल का हिसाब लगाया जाए तो प्रतिदिन करीब 320 रूपए का डीजल जलता है। शासन द्वारा अधिकारियों को गाड़ी सरकारी कार्यो के लिए दी जाती है लेकिन अधिकारियों द्वारा इस तरह का दुरूपयोग कर शासन को चपत लगाई जाती है। उक्त अधिकारी द्वारा भी डीजल का खर्च विभिन्न निरीक्षण दौरे में दर्शाकर लागबुक भरे जाने की बात सामने आ रही है। चिचोली के नवीन आर्य के अनुसार कोई कार्यालय का फोन भी नहीं उठा रहा था। इधर पूरे मामले में श्रीमति मनोरमा गढ़वाल जैसी कई परियोजना अधिकारी है जिनके द्वारा उक्त नियम विरूद्ध कार्य संपादित किए जा रहे है। पूरे मामले में प्रदीप राय, जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग कहते है कि यदि परियोजना अधिकारी यह कर रही है तो निश्चित रूप से नियम विरूद्ध है। उन्हें जिला मुख्यालय में न होकर अपने कार्य क्षेत्र में होना चाहिए था। मामले की जांच कर नियमानुसार जो भी कार्रवाई की जाएगी।
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