प्रतिनिधि // संतोष कुमार गुप्ता (शहडोल // टाइम्स ऑफ क्राइम)
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शहडोल . ब्यौहारी। महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना लागू करने के पहले ऐसे नियम बनाए गए थे ताकि भ्रष्टाचयार न हो सके गरीबों को रोजगार मिल सके यहां तक कि आवंटित राशि का शत प्रतिशत भाग मजदूरी में खर्च करना था कि अधिक से अधिक रोजगार मुहैया हो सके और भ्रष्टाचार में लगाम लग सके। मगर शहडोल जिले के जनपद पंचायत ब्यौहारी मेुं शायद हर नियम लागू होने के पहले ही तोडऩे के लिए बैठे अधिकारी पहले से ही तैयारी कर बैठे रहते है क्योंकि सैकड़ों शिकायतों के बाद जांच तो हुई मगर किसी भी जांच मे किसी भी अधिकारी को दोषी नहीं पाया गया और पाया भी कैसे जा सकता है क्योंकि जांच करने वाला और जिसकी जांच की जा रही है सभी एक ही थैले के चट्टे-बट्टे नजर आत है। सवाल यह खड़ा होता है कि क्या सैकड़ों शिकायतों में कोई भी ऐसी सही शिकायत नही हुई जिस पर जांच के बाद दोषी अधिकारियों को दंडित किया गया हो।
कोईआंकलन करने वाला नहीं है। उल्लेखनीय है कि कमीशन खोरी और भ्रष्टाचार की वैतरणी में सभी गोता लगाते नजर आते है और बीच में आखिर गरीब जनता ही पिसती है जिनके लिए योजनाये बनाई गई है उनका तो विकास नही हो पाता है मगर जिन अधिकारी, कर्मचारियों द्वारा इन योजनाओं को जनता और हितग्राहियों तक पहुंचाना है उनका विकास निरंतर होता जा रहा है ब्लाक में बह रही भ्रष्टाचार की इस गंगा में शायद ही कोई ऐसा न हो जिसने डुबकी लगाकर अपने दुख दर्द न तार लिए हो।
महात्मा गंाधी रोजगार गांरटी योजना के तहत मजदूरों को 100 दिन के रोजगार की गारंटी के साथ-साथ भुगतान की भी ऐसी व्यवस्थाएं की गई है कि मजदूरी भुगतान के बाद ही बाकी खर्चो के भुगतान किए जाए मगर कुछ हद तक के पंचायतों में ये नियम लागू हुए है और विभागों में तो जैसे इन नियम निर्देशों की मात्र रद्दी की टोकरी में ही जगह है। आए दिन मुख्यालय में मजदूर भुगतान के लिए प्रदर्शन करते नजर आते है।
रोजगार गारंटी योजना, इंदिरा आवास, मेंढ़ बधान, कपिलधारा कूप निर्माण, बलराम तालाब जैसी आदि अनके महत्वपूर्ण योजनाएं वर्षो से संचालित है। मगर समझ में नरही आता इस योजना का लाभ किसे मिल रहा है आखिर दिल्ली तथा प्रदेश स्तर से रोजगार गांरटी की समीक्षा करने आ रही टीमें क्या समीक्षाएं करती है। ब्लाक स्तर पर एनआरजी अनुविभागीय अधिकारी क्या निरीक्षण करती है। उपयंत्री मूल्यांकन के समय आवश्यक निर्देशों को ध्यान में रखते है इसके बावजूद यदि योजनाओं का लाभ हितग्राहियों को नहीं मिल पा रहा है तो हर वर्ष दिए जा रहे मोटे ताजे बजट का क्या प्रतिफल मिल रहा है।
निर्माण कार्यो में हेरा फेरी
जब ये महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना लागू हुई है तब से पंचायतों तथा विभिन्न विभागों के माध्यम से करोड़ों रुपयों की राशि निर्माण कार्यो के लिए आवंटित की गई है मगर इन निर्माण कार्यो की गुणवत्ता और उनसे हो रहे लाभ की समीक्षा करने वालो ने शायद इस बात पर ध्यान दिया कि जिस कार्य क लिए लम्बी चौड़ी राशि आवंटित की गई है उसका कितना लाभ मजदूरों और हितग्राहियों को मिला है।कोईआंकलन करने वाला नहीं है। उल्लेखनीय है कि कमीशन खोरी और भ्रष्टाचार की वैतरणी में सभी गोता लगाते नजर आते है और बीच में आखिर गरीब जनता ही पिसती है जिनके लिए योजनाये बनाई गई है उनका तो विकास नही हो पाता है मगर जिन अधिकारी, कर्मचारियों द्वारा इन योजनाओं को जनता और हितग्राहियों तक पहुंचाना है उनका विकास निरंतर होता जा रहा है ब्लाक में बह रही भ्रष्टाचार की इस गंगा में शायद ही कोई ऐसा न हो जिसने डुबकी लगाकर अपने दुख दर्द न तार लिए हो।
महात्मा गंाधी रोजगार गांरटी योजना के तहत मजदूरों को 100 दिन के रोजगार की गारंटी के साथ-साथ भुगतान की भी ऐसी व्यवस्थाएं की गई है कि मजदूरी भुगतान के बाद ही बाकी खर्चो के भुगतान किए जाए मगर कुछ हद तक के पंचायतों में ये नियम लागू हुए है और विभागों में तो जैसे इन नियम निर्देशों की मात्र रद्दी की टोकरी में ही जगह है। आए दिन मुख्यालय में मजदूर भुगतान के लिए प्रदर्शन करते नजर आते है।
रोजगार गारंटी योजना, इंदिरा आवास, मेंढ़ बधान, कपिलधारा कूप निर्माण, बलराम तालाब जैसी आदि अनके महत्वपूर्ण योजनाएं वर्षो से संचालित है। मगर समझ में नरही आता इस योजना का लाभ किसे मिल रहा है आखिर दिल्ली तथा प्रदेश स्तर से रोजगार गांरटी की समीक्षा करने आ रही टीमें क्या समीक्षाएं करती है। ब्लाक स्तर पर एनआरजी अनुविभागीय अधिकारी क्या निरीक्षण करती है। उपयंत्री मूल्यांकन के समय आवश्यक निर्देशों को ध्यान में रखते है इसके बावजूद यदि योजनाओं का लाभ हितग्राहियों को नहीं मिल पा रहा है तो हर वर्ष दिए जा रहे मोटे ताजे बजट का क्या प्रतिफल मिल रहा है।
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