भगवान भोलेनाथ को नंदी का दान करके 8 हजार साल पुराना पाप धोएंगे म.प्र.के आदिवासी
ब्यूरो प्रमुख // संतोष प्रजापति (बैतूल// टाइम्स ऑफ क्राइम)
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बैतूल. दक्षिण भारत का द्वार कहे जाने वाली देवभूमि बैतूल जिले के आदिवासी ग्राम रतनपुर से शुरू हुई पदयात्रा में पूरे मध्यप्रदेश के गोंड आदिवासी आठ हजार साल पुराने पाप का प्रायश्चित कर रहे हैं। इन आदिवासियों का मानना है कि आठ हजार साल पहले उनके पूर्वजों ने राजा शंभू (बड़ादेव)का वाहन नंदी (बैल) चुरा कर खा लिया था। नतीजा, बिरादरी पर चोर का कलंक लगा और बिरादरी गरीबी, बीमारी और पिछड़ेपन की चपेट में आ गई। इन सबसे उबरने के लिए अब गोंड आदिवासी पदयात्रा के माध्यम से सतपुड़ा की सुरम्य पहाडिय़ों में बसे होशंगाबाद जिले के पचमढ़ी के हीवा बड़ा महादेव मंदिर में एक नंदी दान करने जा रहे हैं।
बैतूल जिले के रतनपुर से शुरू हुई पदयात्रा कल 8 नवम्बर 2011 दिन मंगलवार को पचमढ़ी पहुंचेगी। इस यात्रा में अपने संग नंदी दान के लिए ले जाने वाले आदिवासी अपने परम्परागत वेशभुषा एवं बाजे गाजे के साथ झुमते - नाचते गाते जा रहे है। मंगलवार को दिन भर पूजा व अन्य आयोजनों के बाद एक नंदी बड़ा महादेव (शिव) मंदिर में छोड़ दिया जाएगा। खास बात यह है कि करीब तीन साल का यह नंदी आदिवासियों ने चंदा करके 7051 रुपए में खरीदा है। गोंडवाना आदिवासियों के धार्मिक मामलों पर अंतिम निर्णय करने वाली गोंडवाना महासभा के उप सचिव मेहा सिंह मरावी बताते हैं कि दिसंबर में हुई सभा की बैठक में निर्णय लिया गया था कि कलंक धोने के लिए नंदी दान किया जाए। इसके बाद यात्रा की तैयारियां शुरू हुई। बीते 28 अक्टूबर को रतनपुर (बैतूल) से शुरू हुई यह यात्रा छिंदवाड़ा, रायसेन, देवास, सीहोर और होशंगाबाद जिलों से होती हुई मंगलवार को पचमढ़ी पहुंचेगी। मरावी बताते हैं कि यात्रा का एक उद्देश्य नई पीढ़ी को परंपराओं से परिचित कराना भी है। यात्रा में शामिल आदिवासी राजनीतिक चर्चा से बचते हैं, लेकिन वे यह मानते हैं कि चोरी के अभिशाप के ही कारण गोंडवाना गणतंत्र पार्टी उभरने के साथ ही बिखर गई। पार्टी एक समय में एक बड़ी राजनीतिक शक्ति बन गई थी और बड़े राजनीतिक दलों का ध्यान गोंड आदिवासियों पर गया, लेकिन कुछ ही दिन में यह शक्ति बिखर गई।
यह भी माना जा सकता है कि इस यात्रा के पीछे गोंडवाना गणतंत्र पार्टी भी हो सकती है, जो इस बहाने से बिरादरी को एकजुट करने की कोशिश कर रही है। हालाकि पूरी यात्रा के दौरान सामाजिक रीति - रिवाजो एवं परम्पराओं पर भी चर्चा हो रही है। मध्यप्रदेश के इतिहास में पहली बार सतपुड़ाचंल में पांव पसार चुकी गोण्डवाना गणतंत्र पार्टी के अधिकांश पदाधिकारी इस पदयात्रा में सर्वेसर्वा बने हुए लेकिन अपने आप को पूरी तरह राजनीति से दूर रखे नेता अभी समाज सुधार की बातों को ही महत्व दे रहे है। जहां एक ओर इस पदयात्रा में पुरानी पीढ़ी के लोग वही दुसरी ओर महिलाएं भी अपने घरो से बाहर निकल कर कंधा से कंधा मिला कर चल रही है।
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