शहर से रोजाना दो ट्रॉली पॉलीथिन का कचरा
(बैतूल// टाइम्स ऑफ क्राइम)
रामकिशोर पंवार
Present by : toc news internet channal
बैतूल. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि बैतूल जिले में कई ऐसे रेल्वे स्टेशन है जिसका किराया बस किराये और प्लेटफार्म टिकट से भी कम है। रेल्वे स्टेशन तक आने का किराया तक चार गुणा है इसके बाद भी लोग को रेल में यात्रा करना पड़ता है। कुछ लोग इसे अपना शौक बताते है तो कुछ लोग इसे मजबूरी कहते है। देश में ईधन के बढ़ते दाम ने बसों के किराए को भी रफ्तार दे दी है, ऐसे में गरीब आदमी के लिए रेलवे की सेवा ही सबसे सस्ता माध्यम है। जहां पर आज भी प्लेटफार्म टिकट से कम किराए में कई आसपास के स्टेशनों तक सफर कर सकते हैं। हालत यह है कि बस से जो सफर 25 से 30 रूपए खर्च करने पर होता है वहीं सफर पैसेंजर से महज चार रूपए के खर्चे पर हो जाता है। बढऩे की जगह कम हुआ किराया डीजल-पेट्रोल के बढ़ते दामों में जब हर तरह का किराया बढ़ रहा है। ऐसे में पैसेंजर का किराया करीब पांच साल पहले हर टिकट पर एक रूपए कम किया गया था और इसी एक रूपए कम करने के कारण आमला का जो सफर पहले पांच रूपए में होता था वह अब चार रूपए में होता है। इसके अलावा विशेष बात यह है कि पंखा होते हुए आमला जाने पर करीब 28 रूपए बस से किराया लगता है और 36 किमी का दायरा है, वहीं हमलापुर होते हुए जाने पर 22 किमी का दायरा है और 18 रूपए किराया लगता है। पैसेंजर गाडियों से सफर में यह स्थिति है कि बैतूल स्टेशन से इटारसी की ओर जाने पर मरामझिरी के दो रूपए और धाराखोह के लिए चार रूपए की टिकट आती है। वहीं नागपुर की ओर जाने पर मलाकपुर के दो रूपए और बरसाली के महज तीन रूपए लगते हैं। इन सबसे हट कर आपको रेल्वे स्टेशन पर जाने के लिए आवश्क्य प्लेटफार्म टिकट जो कि तीन घंटे के लिए वैध होती है वह तीन रूपए में आती है लेकिन वही दुसरी ओर रेलवे द्वारा न्यूनतम दूरी पांच किमी के आधार पर तीन रूपए किराया निर्घारित किया गया था और इसी न्यूनतम किराए के आधार पर प्लेटफार्म टिकट की दरें निर्घारित की गई थी। लेकिन पांच-छह साल पहले किराए में एक रूपए की कमी की गई थी, इसलिए कुछ समीपस्थ स्टेशनों का किराया अब प्लेटफार्म टिकट से कम है।
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