शहर से रोजाना दो ट्रॉली पॉलीथिन का कचरा
ब्यूरो प्रमुख // संतोष प्रजापति (बैतूल// टाइम्स ऑफ क्राइम)
ब्यूरो प्रमुख से संपर्क:-: 88716 46470
Present by : toc news internet channal
बैतूल. हरा भरा मध्यप्रदेश का नारा देने वाले मध्यप्रदेश आदिवासी बाहुल्य बैतूल जिला मुख्यालय की नगरपालिका परिषद बैतूल ने अपने पूरी के शहर को पॉलीथिन के कचरे से मुक्त चक्कर में प्रतिबंधित वन क्षेत्र में पॉलीथिन का पहाड़ खड़ा कर दिया है। बैतूल से रानीपुर सडक़ मार्ग के किनारे वन क्षेत्र में जहां - तहां पॉलीथिन का ढेर देखने को मिल जाएगा। वन विभाग की कथित मिली भगत से प्रतिबंधित वन क्षेत्र में बिना विभाग की अनुमति के परिहवन प्रतिबंधित है। बैतूल रानीपुर सडक़ मार्ग पर वन विभाग का चिखलार बेरियर है इसके बाद भी बेरियर से सैकड़ो टै्रक्टर एवं ट्राली से हजारो टन कचरा एवं पॉलीथिन वन क्षेत्र में फेका जा रहा है जिससे वनो के साथ वन सपंदा को भी भारी नुकसान होगा। जिला मुख्यालय की बैतूल नगरपालिका ने इसे सर्वोच्च प्राथमिकता में रखा हो, लेकिन इसके बाद भी पॉलीथिन के उपयोग पर प्रतिबंध नहीं लग सका है। जबकि शहर को पॉलीथिन के संकट से मुक्ति दिलाने के लिए नगरपालिका ने समय सीमा भी निर्घारित कर रखी है। बावजूद इसके अभी तक न तो पॉलीथिन के उपयोग पर प्रतिबंध लग सका है और न ही कोई जन जागरूकता अभियान चलाया गया है।
नगरपालिका ने शहर को पॉलीथिन के कचरे से मुक्ति दिलाने तथा पॉलीथिन के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक साल का लक्ष्य निर्घारित किया है। लेकिन लक्ष्य निर्घारण के छह माह गुजर जाने के बाद भी इस कचरे से मुक्ति के लिए नगरपालिका ने अभी तक कोई कार्ययोजना तक नहीं बनाई है और न ही इस दिशा में को जनजागरूकता अभियान चलाया है। ?से में पॉलीथिन के उपयोग पर सख्ती से प्रतिबंध लगाने वाली यह योजना महज फाइलों में ही दबकर रह गई है।पॉलीथिन के उपयोग पर प्रतिबंध नहीं लगने से शहर से रोजाना दो ट्रॉली पॉलीथिन का कचरा निकल रहा है।
जिसके निष्पादन के लिए कोई व्यवस्था भी नपा के पास मौजूद नहीं है। शहर से निकलने वाले इस कचरे के ढेर को गौठान क्षेत्र में फैं का जा रहा है। जहां पॉलीथिन कचरे ढेर लग गया है। पॉलीथिन कचरे का निष्पादन नहीं होने से आवारा मवेशी भी खाकर बीमारी के शिकार हो रहे हैं।गौठाना में ट्रेचिंग ग्राउंड बनाने का प्रस्ताव भले ही परिषद की बैठक में सर्वसम्मति से पास हो गया हो, लेकिन सीमांकन नहीं होने से अभी तक इस पर काम शुरू नहीं हो सका है। ट्रेचिंग ग्राउंड के अभाव में शहर से निकलने वाला सारा कचरा खुले मैदान में ही फैंका जा रहा है, जिस जगह पर यह कचरा जमा हो रहा है उसके दोनों ओर रिहायशी क्षेत्र का दायरा भी बढ़ गया है। आसपास घर बन जाने के कारण अब लोगों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। डॉ. राजेंद्र देशमुख, अध्यक्ष नपा बैतूल के अनुसार यह सही है कि शहर में पॉलीथिन का इस्तेमाल बढऩे से इसका कचरा भी काफी ज्यादा निकल रहा है। जहां तक पॉलीथिन के प्रतिबंध और जनजागरूकता अभियान का सवाल है तो बहुत जल्द हम दुकानदारों, जागरूक नागरिकों एवं समाजसेवियों की बैठक बुलाकर रूपरेखा तय करेंगे। जरूरत पडऩे पर पॉलीथिन के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने के लिए कार्रवाई भी की जाएगी। वही दुसरी ओर डॉ.वी के वर्मा, कृषि वैज्ञानिक केवीके बैतूलबाजार का कहना है कि पॉलीथिन आज के समय में सबसे बड़ी समस्या बन गया है।
जिस तरह से जमीन में पॉलीथिन का ढेर बढ़ रहा है, उससे जमीन की उर्वरक क्षमता तो कम हो रही है। साथ ही जमीन की जलधारण क्षमता तथा पेड़-पौधों के ग्रोथ सिस्टम पर भी इसका दुष्यप्रभाव पड़ता है। एक शब्द में कहा जाए तो पॉलीथिन से जमीन का शत-प्रतिशत नुकसान है। इन सबसे हट कर बैतूल जिले की एक मात्र पर्यावरण संरक्षण संरक्षण समिति के जिला सचिव कैलाश कोड़ले का कहना है कि अपना सिर का ठीकरा दुसरे के सिर पर फोड़ कर नगर पालिका अपने पर्यावरण को क्षति पहुंचाने वाले कानून से बच नहीं सकती है। वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को बैतूल नगर पालिका परिषद के खिलाफ वन अधिनियम एवं पर्यावरण प्रदुषण कानून के तहत कार्रवाई करनी चाहिए।
No comments:
Post a Comment