भगवान को प्यारी हो गई प्रधान मंत्री ग्रामीण सडक़ योजना के बंद होने से कई गांवों को नहीं जुड़ सके
ब्यूरो प्रमुख // संतोष प्रजापति (बैतूल// टाइम्स ऑफ क्राइम)
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Present by : toc news internet channal
बैतूल. स्वर्गीय राजीव गांधी के 21 वी सदी के भारत के लिए महत्वपूर्ण कड़ी साबित होने वाली प्रणानमंत्री ग्रामीण सडक़ योजना अब बैतूल जिले में कुछ ही दिनो के लिए बतौर मेहमान बन कर रहेगी। योजना के बंद हो जाने से बैतूल जिले के कई पहुंच विहीन गांवो को मुख्य सडक़ मार्ग से नहीं जोड़ा जा सकेगा। इस योजना के अचानक बंद हो जाने से बैतूल जिले के दुरस्थ पहुंच विहीन गांवो को अब ऊबड़ - खाबड़ रास्तो पर ही सफर करना होगा। मध्यप्रदेश के आदिवासी बहुल बैतूल जिले के पहुंचविहीन गांवों को मुख्य सडक़ों से जोडऩे के चलाई गई प्रधानमंत्री ग्रामीण सडक़ योजना पर अब विराम लगने से लोगो के चेहरे मुरझा गए है वहीं ठेकेदारो को भी बहुंत बड़ा झटका लगा है।
जिले से वैसे भी प्रधानमंत्री ग्रामीण सडक़ विभाग के कार्यालयों को हटाया जा चुका है। जिले में 558 ग्राम पंचायतो के लगभग 12 सौ गांवो को 11 वें चरण में प्रस्तावित 313 किमी लंबी 77 सडक़ों से बड़ी उम्मीद थी लेकिन इन सडक़ो के लिए 98 करोड़ रुपए के प्रस्ताव को मंजूरी नहीं मिलने के कारण योजना ठंडे बस्ते में चली गई। जिले में पूर्व में स्वीकृत लगभग 420 करोड़ रुपए की 192 किमी अधूरी सडक़ों का काम पूरा होते ही यह योजना बैतूल में समाप्त हो सकती है। नक्सलवाद प्रभावित क्षेत्रों को योजना को प्राथमिकता दिए जाने के कारण प्रदेश के कई जिलों में इस योजना के तहत सडक़ों की मंजूरी बीते 3 साल से नहीं मिल पाई है जिसमें बैतूल जिला भी शामिल हैं। कुछ जिलों में एडीबी के मद से इन सडक़ों के पैकेज हर साल मंजूर हो रहे हैं लेकिन बैतूल जिले को इस मद से कोई लाभ नहीं मिला। पूर्व में मंजूर कई सडक़ों के काम लागत अधिक होने के कारण पूरे नहीं हो पाए। जिसके चलते ठेकेदारों को ब्लेक लिस्टेड किया गया और दोबारा टेंडर बुलाए गए।
जिले के सामान्य ब्लॉकों योजना के तहत अब 1 हजार से अधिक आबादी और अधिसूचित ब्लॉकों में 5 सौ से अधिक आबादी की बसाहटों को सडक़ों से जोड़ा गया। अब योजना के तहत सामान्य ब्लॉक के 9 सौ 999 और अधिसूचित ब्लॉकों के 4 सौ 499 आबादी वाले ब्लॉकों को सडक़ों का लाभ दिया जाना हैं। जिसमें 263 गांव की लगभग 1 लाख 31 हजार 126 जनसंख्या शामिल है। ये सभी बसाहट बारिश के दिनों में पगडंडी या कीचड़ भरे रास्तों से आवागमन करती है। प्रधानमंत्री सडक़ योजना के पहले से पांचवें चरण तक बनी अधिकांश सडक़ों पर भारी वाहनों की आवाजाही के कारण सडक़ें पांच साल भी नहीं टिक पाई। प्रधानमंत्री सडक़ योजना के तहत बनी सडक़ों की भार क्षमता महज 9 टन है जबकि इन सडक़ों पर 18 से 20 टन का लोड लेकर वाहन दौड़ रहे हैं। जिसके चलते कई सडक़ों का अस्तित्व समय सीमा से पूर्व ही समाप्त हो चुका है।
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