TOC NEWS // अवधेश पुरोहित
भोपाल । वैसे मध्यप्रदेश वह प्रदेश है जहां इसी शिवराज सिंह चौहान के राज्य में भ्रष्टाचार की बहती गंगोत्री के चलते किसानों के लिए बने सैंकड़ों बलराम तालाब कागजों पर तो बना दिये गये लेकिन जमीन से गायब हैं। इस तरह के कागजों में खोदे गये तालाबों का मामला मध्यप्रदेश ही नहीं बल्कि उन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के गृह जिले का भी है जो इस प्रदेश में जीरो टालरेंस का ढिंढोरा पीटते हैं.
उन्हीं के गृह जिले में अधिकारियों की कार गुजारी के चलते काफी संख्या में बलराम तालाब कागजों में बना दिये गये लेकिन मजे की बात यह है कि जब इस मामले का खुलासा हुआ तो मुख्यमंत्री उन भ्रष्ट अधिकारियों के पक्ष में खड़े नजर आए जिन्होंने उनके गृह जिले में कागजों पर तालाब बनाकर भ्रष्टाचार की गंगोत्री में डुबकी लगाने का काम किया। जब इस प्रदेश के मुखिया की यह स्थिति है कि वह भ्रष्ट अधिकारियों के पक्ष में खड़े नजर आते हैं तो फिर इस राज्य में भ्रष्टाचार के जीरो टालरेंस के ढिंढोरे की क्या स्थिति होगी इसका अंदाजा ही लगाया जा सकता है।
वैसे तो प्रदेश में इस तरह के कागजों पर सरकारी योजना बनाने का काम शिवराज सरकार में जिस प्रकार से पनपा वह भी एक इतिहास है, शायद यही वजह है कि अब जिस प्याज की खरीदी को लेकर सरकार के आंसू आ रहे हैं उस प्याज की खरीदी में भी शिवराज सरकार की नौकरशाही भ्रष्टाचार का खेल खेलने में लगी हुई है, खरीदी और बिक्री में हो रहे भ्रष्टाचार के खेल के चलते अब अधिकारी प्याज के परिवहन में भी कारगुजारी दिखाने में नहीं चूक रहे हैं।
ऐसा ही कुछ सतना जिले में घटित हुआ था जब सतना जिले में पहुंची प्याज की तीन रोक में से एक रेक रेलवे यार्ड में खड़े-खड़े व्यापारियों को कम कीमत पर बेच दी गई थी और उन्हीं व्यापारिया वें ने अधिकारियों की उपस्थिति में ही प्याज कानपुर और बनारस मोबाइल फोन पर बेचकर छ: करोड़ से ज्यादा की रकम कमा ली थी इन छ: करोड़ की कमाई में से सतना के अधिकारियों की जेब में कितनी रकम गई, यह जाँच का विषय है और इसके बाद प्रशासन द्वारा कोई कार्यवाही नहीं किये जाने से उत्साहित उसी सतना से सटे रीवा जिले के अधिकारियों ने देवास से रीवा गई रैक को सतना में ही बेच डाला,
प्याज की खरीदी में और उसके परिवहन में जिस तरह की भ्रटाचार की गंगोत्री बह रही है और इस भ्रष्टाचार की गंगोत्री का जो खेल खेला जा रहा है उसमें प्याज खरीदी और परिवहन को लेकर भ्र्रष्टाचार और घोटाले की बू आ रही है, लेकिन यदि प्रदेश की जनता यह मानकर चले कि प्याज के नाम पर इस तरह की कारगुजारी करने वाले अधिकारियों पर कोई कार्यवाही होगी तो उनकी यह कल्पना बेनामी ही साबित होगी, क्योंकि प्रदेश में ऊपर से लेकर नीचे तक जो भ्रष्टाचार की गंगोत्री बह रही है उसमें सभी डुबकी लगाकर अपनी कारगुजारी दिखाने में लगे हुए हैं ।
मजे की बात यह है कि जिन रीवा जिले के खाद्य अधिकारी पर इस पूरे मामले की जिम्मेदारी बनती है वह एमएमएच खान इस मामले में कहते हैं कि देवास एक आई एक प्याज की रेक कहां नीलाम कर दी गई है नाकने डीएमओ से जानकारी मांगी है, परन्तें अभी तक उन्होंने इस संबंध में जवाब नहीं दिया और न ही वह ऑफिस भी पहुंचे । जिला खाद्य अधिकारी का यह बयान इस ओर संकेत करता है कि इस मामले में कुछ न कु छ तो गोलमाल है जिसे रफा-दफा करने के प्रयास में हर कोई लगा है।
तभी तो समर्थन मूल्य पर खरीदी गई प्याज को लेकर सुर्खियों में रहने वाला नागरिक आपूर्ति निगक एवं मार्कफेड एक बार फिर से संदेह के दायरे में आ गया है। कृषि उपज मंडी रीवा में किसानों की प्याज को जिला प्रशासन भले ही उपभोक्ताओं को देने में नाकाम रहा हो परन्तु जिले के किसानों से खरीदी गई ३२ हजार क्विंटल से ज्यादा की प्याज यूपी के व्यापारियों के हाथ नीलाम कर दी। हद तो तब हो गई जब प्याज की नीलामी के बाद स्टॉक शून्य करने की वाहवाही लेने वाला नॉन एवं मार्कफेड उज्जैन से आई प्याज की रैक एवं ट्रकोकं से आई खेप से ५२ हजार ७६६ क्विंटल प्याज के आंकड़े बाजी की गई है।
चौंकाने वाली बात यह है कि भले ही मार्कफेड के आंकड़े प्याज के लिए सही बैठ रहे हों परन्तु मैदानी हकीकत इससे अलग है। गौरतलब है कि समर्थन मूल्य पर खरीदी गई प्याज को व्यवस्थित करने में जुटा प्रशासन बाहर से आ रही रेक एवं ट्रकों की खेप को गोल करने में लग गये हैं। ताज्जुब की बात यह है कि गत दिवस देवास से आई एक रैक नागरिक आपूर्ति निगम में बगैर कमेटी की जानकारी के गायब कर दी। बताया गया है कि देवास से रीवा नीलामी के लिए २० हजार क्विंटल एक रैक प्याज की आई थी जिसे रीवा तक लाया ही नहीं गया।
नान के अधिकारियों की मिलीभगत से बिहार के व्यापारियों को चुपचाप बुलाकर सौदा किया गया और रैक को बगैर उतारे सतना से बिहार के भेज दिया गया। इस खुलासे के बाद विभागीय अधिकारियों में हड़कंप मच गया है। देवास से रीवा के लिए आई प्याज की रैक के नान के अधिकारी-कर्मचारी ने चोरी छिपे सतना से ही बिक्री कर दिया। इस बात की जानकारी कमेटी को नहीं दी गई। बताया गया है कि नीलामी के रेट को छिपाने के लिए यह कदम उठाया गया है। ऐसे में यह साफ जाहिर होता है थ्क बिहार को बेची गई २० हजार क्विंटल प्याज ने अधिकारियों ने जिस दाम पर बेचा है उससे कम दाम कागजों में दर्शायेंगे।
यही वजह है कि कमेटी को इस बात की भनक तक नहीं लगने दी और प्याज को सतना से ही बेच दिया ग या। आंकड़ों की बाजीगिरी में माहिर नान एवं मार्कफेड के अधिकारियों ने उज्जैन की तरह देवास की प्याज पर कागजी आंकड़ा तैयार कर रहे हैं। देवास से नीलामी के लिए लाई गई एक रैक प्याज को नागरिक आपूर्ति निगम और बगैर व्यापारियों को जानकारी दिये सतना से ही बिहार के व्यापारियों को बेच दिये ज ाने के बाद रीवा के व्यापारी काफी आक्रोश में हैं।
उन्होंने इसकी शिकायत भी दर्ज कराई है। व्यापारियों का कहन ा है कि जब रीवा में प्याज की नीलामी साढ़े तीन रुपये से ऊपर हो सकती है। तब स्थानीय व्यापारियों को शामिल किये गये बगैर चोरी -छिपे बिहार के व्यापारियों को कम दामों में प्याज की बिक्री क्यों कर द गई। इससे यह जाहिर होता है कि उक्त बेची गई प्याज ऊँची कीमतों में नीलाम की गई है अब उसका आंकड़ा २.४० पैसे बताया जा राह है। आधे से ज्यादा की नीलामी में गेम करने वाले अधिकारी-कर्मचारी देवास की प्याज को लेकर बुरी तरह से फंस गये हैं।
हालांकि इस रेक की नीलामी के बाद नागरिक आपूर्ति निगम के अधिकारी-कर्मचारियों को बचाने में जुट गये हैं। बताया यह जा रहा है कि इस कारनामे के बाद कमेटी के सदस्य नान ने इस कृत्य से सहमत नहीं है। देखना यह है कि सतना से बिहार जाने वाली इस रैक के मामले में कमेटी क्या निर्णय लेती है । उज्जैन एवं देवास से आई प्याज की रैक एवं ट्रकों की खेप में किस कदर गेम किया गया था यह जानकारी लोग हैरान हैं। बताया गया है कि उज्जैन से रीवा के लिए रेवल रैक से आई २६ हजार १०८ क्विंटल प्याज को सीधी, पन्ना एवं पीडीएस की दर्शाकर मार्कफेड में अपना पल्ला छुड़ा लिया है।
जबकि देवास से नीलामी के लिए आई रीवा आने वाली २९ हजार क्विंटल प्याज रीवा न आकर सतना से ही सीधे बिहार भेज दी गई है। इस खेल में नागरिक आपूर्ति निगम के अधिकारियों ने जमकर भ्रष्टाचार किया है। सतना से सीधे बिहार के लिए भेजी जा रही प्याज की खेप के समय बिहार के अलावा रीवा के व्यापारी, भी सतना में मौजूद थे। ऐसे में चोरी छिपे बेचे जाने वाली प्याज का खुलासा हुआ है। जानकारी के बाद विभागीय अधिकारी इस राज को छुपाने के लिए क्या उपाय ढूंढने में लगे हैं।
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