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भोपाल। खनिज संसाधन, उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने कहा है कि प्रदेश की नदियों और पर्यावरण का संरक्षण राज्य सरकार की पहली प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि खनिज सम्पदा में रेत का अपना महत्व है। रेत की माँग के अनुसार वैध तरीके से पूर्ति होने पर ही विकास की रफ्तार को गति मिलेगी।
शुक्ल ने आज भोपाल के एप्को परिसर में नदियों की पारिस्थितिकी के अनुकूल रेत हार्वेस्टिंग और विपणन पर केन्द्रित कार्यशाला के समापन अवसर पर ये उदगार व्यक्त किये। समापन समारोह में स्टेट इनवायरमेंट इम्पेक्ट असिसमेंट अथारिटी (एस.इ.आई.ए.ए.) के पूर्व पदाधिकारी वसीम अख्तर, संयुक्त सचिव भारत सरकार सुभाष चन्द्रा, कंट्रोल ऑफ माइंस सेन्ट्रल जोन नागपुर भी मौजूद थे।
राजेन्द्र शुक्ल ने कहा कि रेत खनिज के अंधाधुंध दोहन से पर्यावरण एवं ईकोलॉजी पर विपरीत असर पड़ता है। इस कारण से नदियों में रेत खनिज के संग्रहण और पुर्नभरण पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता महसूस हुई है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में नर्मदा एवं अन्य नदियों में 1250 खदानें चिन्हित हैं। इनमें लगभग 7 करोड़ घन मीटर रेत उपलब्ध है।
इन चिन्हित खदानों में से केवल 450 खदाने संचालन के लिये ठेके पर स्वीकृत की गई हैं। पिछले वित्तीय वर्ष में खदान से मात्र एक करोड़ 60 लाख घन मीटर रेत खनिज की निकासी की गई है। शुक्ल ने बताया कि प्रदेश में कुल उपलब्ध भण्डार का मात्र 40 प्रतिशत भाग का ही दोहन हुआ है। उन्होंने कहा कि कार्यशाला के निष्कर्षों के आधार पर प्रदेश में आदर्श रेत खनन नीति बनेगी। देश के अन्य राज्यों को भी इस नीति से मार्गदर्शन मिलेगा।
स्टेट माइनिंग कार्पोरेशन के अध्यक्ष शिव चौबे ने नर्मदा सेवा यात्रा के अनुभव कार्यशाला में बताये। भोपाल कमिश्नर अजातशत्रु, वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी आशीष श्रीवास्तव और होशंगाबाद कलेक्टर श्री अविनाश लवानिया ने कार्यशाला में हुए विभिन्न सत्रों में विचार विमर्श एवं निष्कर्षों की जानकारी दी।
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