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'पद्मावती': पूर्व राजपरिवार ने सेंसर बोर्ड पर उठाए सवाल, जताई नाराजगी सीबीएफसी भले ही संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्ममावती को U/A सर्टिफिकेट देने के लिए तैयार हो गया हो, लेकिन इसपर विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। अब पूर्व मेवाड़ राजपरिवार के सदस्य विश्वराज सिंह ने सीबीएफसी के फैसले पर आपत्ति जताई है।
बॉलीवुड फिल्म निर्माता—निर्देशक की विवादित फिल्म 'पद्मावती' को केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) यानि सेंसर बोर्ड से हरी झंडी मिल गई है। सीबीएफसी के निर्देशों के बाद अब 'पद्मावती' को नए टाइटल और 26 कट्स के साथ रिलीज किया जा सकता है। सूत्रों के मुताबिक सेंसर बोर्ड ने रिव्यू कमेटी की कुछ आपत्तियों को मान लिया है। गौरतलब है कि 28 दिसंबर को हुई मीटिंग में कमेटी ने फिल्म पर कुछ सुझाव दिए थे, जिसमें बोर्ड का मकसद फिल्म से जुड़े विवादों को खत्म करना है।
मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो सेंसर बोर्ड ने फिल्म को 26 कट्स के साथ रिलीज किए जाने की मंजूरी दे दी है। साथ ही सेंसर बोर्ड ने फिल्म का नाम बदलकर 'पद्मावत' करने को कहा है। इसके अलावा घूमर गाने में भी बदलाव किए जाने को कहा गया है। इसे लेकर सेंसर बोर्ड द्वारा गठित किए गए एक विशेष पैनल के सुझावों पर ऐसा किए जाने की बात कही जा रही है।
जानकारी के मुताबिक, अगर ये बदलाव फिल्म में किए जाते हैं तो उसे U/A सर्टिफिकेट दिया जा सकता है। इसका अर्थ है कि इस फिल्म को 12 साल से कम उम्र के बच्चे माता-पिता के निर्देशन में देख सकते हैं। यह भी कहा गया है कि फिल्म के पहले एक डिस्क्लेमर भी देना होगा। यानी फिल्म की कहानी को काल्पनिक बताया जाएगा। हालांकि, अभी तक फिल्म के डायरेक्टर संजय लीला भंसाली या निर्माता कंपनी की ओर से पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन माना जा रहा है कि इन शर्तों को मान लिया जाएगा।
सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन ने 28 दिसंबर को फिल्म को लेकर बैठक की थी। आखिरी फैसले तक पहुंचने के लिए सीबीएफसी ने एक विशेष पैनल की जरूरत महसूस की थी। इस विशेष पैनल में उदयपुर के अरविंद सिंह, जयपुर यूनिवर्सिटी के डॉक्टर चंद्रमणि सिंह और प्रफेसर केके सिंह शामिल थे।
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