बेकारो के पास काम नहीं है और तीन विभागों के एकाधिकारी
ब्यूरो प्रमुख // संतोष प्रजापति (बैतूल// टाइम्स ऑफ क्राइम)
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बैतूल .बैतूल जिले के कलैक्टर की दबंगाई सबको पता है। जिले की जनता के रूप में एक मसीहा के रूप में अब अपनी पहचान बनाने चुका है। जिले के कलैक्टर की आखिर ऐसी भी क्या मजबुरी है कि वे अपनी ही घोषणा, वादे, जुबान, तथा दावों पर खरे नहीं उतर पा रहे है। प्रदेश के पूर्व प्रमुख सचिव एवं जानी मानी लेखिका के एकलौते दामाद बी चन्द्रशेखर ने कहा था कि मालवर की रेत खदान को की लीज को निरस्त करवाने की कोशिस की जाएगी तथा उस मालवर की प्रधानमंत्री ग्रामीण क्षतिग्रस्त सडक़ पर रेत के ट्रको का परिवहन रोका जाए आज दिनांक तो दोनो कार्य जिला कलैक्टर के मूर्त रूप में नहीं दिखाई दे रहे है। न तो रेत खदान निरस्त हुई है और न ट्रको का परिवहन बंद हुआ है।
चोपना पुलिस अभी भी रेत ठेकेदार के विरूद्ध कोई भी प्रकरण दर्ज होने की बात का खंडन कर रही है। ऐसा लगने लगा है कि जिले के अधिकारियों पर कलैक्टर का डर खत्म हो गया है। बैतूल कलैक्टर की मजबुरी किसी को समझ में नहीं आ रही है। लोगों के एक मोबाइल फोन पर देर रात में भी अकेले दौड़ चले आने वाले कलैक्टर किसी दबाव में काम कर रहे है..? या जिले के भ्रष्ट अफसर उन पर हावी हो गए है। समझ मे कुछ भी नहीं आ रहा है कि आखिर ऐसी कौन सी दुखती नस पर अधिकारी हाथ धरे बैठै है कि वे आज तक ऐसे अधिकारियों पर लगाम नहीं लगा सका है जो एक से अधिक विभागो के प्रमुख बने दोनो हाथो से मालाई खाने में लगे हुए है।
बैतूल जिले के अफसरो के बारे में यह अकसर कहा जाता रहा है कि जिले में अंधे के हाथ बटेर लग जाती है लेकिन जब बैतूल जिले में एक हकीकत सामने आई तो लोग दंग रहे गए। बैतूल जिले में एक दर्जन से अधिक ऐसे अधिकारी है जो कि विभागवार जबाबदेही को तरस रहे है लेकिन शिव की कृपा एवं चौहान साहब का जलवा देखिए उनके पास एक नही बल्कि तीन मलाईदार विभागों का प्रभार है। एक साथ तीन-तीन विभागों को संभालने वाले कोई और नहीं बल्कि बैतूल जनपद पर से हटाए गए पूर्व मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री एस एस चौहान है जो कि वर्तमान मे हाई स्कूल के प्राचार्य के समकक्ष योग्यता रखते है। डीपीसी परीक्षा में 85 वे नम्बर पर उत्तीण हुए चौहान साहब के पास वर्तमान में राजीव गांधी शिक्षा मिशन के जिला समन्वयक के अलावा जिला पंचायत में सीईओ मनरेगा का प्रभार भी है।
इसके अलावा में अपने मूल विभाग आदिम जाति कल्याण विभाग का मोह छोड़ नही पा रहे है उनके पास उक्त विभाग का अतिरिक्त संचालक आदिम जाति कल्याण विभाग का भी प्रभार है। एक अधिकारी बकायदा तीन विभागो का कार्यभार ही नही देख रहा है बल्कि तीनो विभागों में वित्तीय अधिकारो के साथ - साथ वाहन सुविधा का भी लाभ ले रहा है। पहले जिला पंचायत के वाहन से आते है फिर आदिम जाति कल्याण विभाग के वाहन में बैठते है फिर सर्व शिक्षा अभियान के वाहन में घुमते है।
एक अधिकारी के पास इतनी सारी सुविधाएं तो सिर्फ शिवराज सिंह चौहान के सुराज में ही संभव है। इधर न तो जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री ए एस चौहान के पास इसका जवाब है और न जिला कलैक्टर बी चन्द्रशेखर के पास इस प्रश्र का का कोई ठोस कारण ...?
ऐसे में प्रदेश के मुखिया का सुशासन कुल मिलाकर कुशासन में परिवर्तित हो चुका है। उल्लेखनीय है कि 2009 में बैतूल जनपद सीईओ पद से हटाए गए श्री चौहान की सर्व शिक्ष अभियान जन शिक्षा केन्द्र में पदस्थापना के लिए यहां पदस्थ दलित समाज की महिला अधिकारी को जिले से बाहर छिंदवाड़ा में पदस्थ किया गया। राजनैतिक गलिायारों में भी लोग इस पदस्थापना को पैसा बोलता है कह कर हास्य-परिहास का केन्द्र बना कर बैतूल के लोगो को अन्ना भाऊ बनने की नसीहत दे रहे है।
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