बैतूल से रामकिशोर पंवार की रिर्पोट ...
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बैतूल . सरकार और विज्ञान भले ही कुछ भी कर ले लेकिन लोगों के बीच फैले अंधविश्वास को दूर नहीं कर पा रहे है। इंसान चांद-तारों पर अपना आशियाना बनाने में लगा है लेकिन धरती पर लोगो अंधविश्वास में जी रहे है। अंध विश्वास को लेकर लम्बी-चौड़ी डींगे हांकने वाले पत्रकारों को भी अब लगने लगा है कि कहीं बैतूल जिला मुख्यालय पर बने मीडिया सेंटर मे कोई वास्तुदोष या बुरी आत्मा का साया तो नहीं है..? यह उन लोगो की नई खोज है तो बरसो से मीडिया सेंटर पर अवैध कब्जा कर चुके थे। अब जैसे ही मीडिया सेंटर का ताला खुला वैसे ही अचानक एसडीएम संजीव श्रीवास्तव का विभागीय पदोन्नति हो गई और उनका भोपाल तबादला हो गया। इस बीच चौक-चौराहो पर इस बात को लेकी तबरदस्त चर्चाओं का बाजार गर्म है कि मीडिया सेंटर पर एसडीएम की बलि चढ़ गई..?
इसके पहले बाबू जी स्वर्गीय विजय कुमार खण्डेलवाल ने ताला खुलवाया था तभी से वे बीमार हो गए। उसके बाद जितने भी कलैक्टर एवं जन सम्पर्क अधिकारी आए कोई न कोई मीडिया सेंटर को लेकर चर्चा का केन्द्र रहे। कलैक्टर अरूण भटट् और विजस आनंद कुरूील तो इस मीडिया सेंटर को कभी भूल नहीं पाएगें। इधर मीडिया सेंटर को खाली करवा कर उसे पुन: शुरू करवाने वाले पत्रकारों का कहना है कि लगभग एक लाख रूपए की सामग्री का कोई अता-पता नहीं है जो कि मीडिया सेंटर के लिए मुख्यमंत्री कोष से पत्रकारों के नाम पर दी गई सहयोग राशी से खरीदी गई थी।
बरसो से पत्रकारो के लिए बना मीडिया सेंटर अवैध गतिविधियों का केन्द्र बनता चला आ रहा था लेकिन पहली बार बैतूल कलैक्टर बी चन्द्रशेखर ने पत्रकारों के अनुरोध पर विशेष रूचि लेकर मीडिया सेंटर को खुलवाने की प्रक्रिया शुरू करवाई कलैक्टर की पहल पर एसडीएम संजीव श्रीवास्तव द्वारा इसे पत्रकारों के लिए सुचारू रूप से खाली करवा गया और उसे विधिवत शुरू किया गया लेकिन अब कुछ लोगो द्वारा भवन में वास्तुदोष बता कर पुन: उसका तालाबंद करवाने का षडय़ंत्र रचा जा रहा है।
सवाल यह है कि राज्य सरकार द्वारा दो पूर्व सासंदो की नीधि से बनवाए गए मीडिया सेंटर का उपयोग यदि पत्रकार लोग नहीं कर पाएगें तो क्या वहां अवैध गतिविधियां संचालित होती रहेगी। यदि उसमें किसी प्रकार का वास्तुदोष है तो उसका विधि पूर्वक पूजन हवन कर उसे दूर किया जा सकता है। अब देखना बाकी है कि उक्त मीडिया सेंटर आने वाले कल में क्या गुल खिलाता है।
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