कनिमोई को नहीं मिली जमानत, सात अन्य की भी याचिका खारिज
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नई दिल्ली। विशेष सीबीआई कोर्ट ने गुरूवार को 2जी
स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले मामले में जेल में बंद राज्यसभा की द्रमुक सांसद
कनिमोई और सात अन्य आरोपियों की जमानत याचिका खारिज कर दी। इस मामले में अब
11 नवंबर से आरोपों पर सुनवाई शुरू होगी। कनिमोई के अलावा जिन अन्य
आरोपियों की कोर्ट ने जमानत याचिका खारिज की है, उनमें कलईनार टीवी के
प्रबंध निदेशक शरद कुमार, स्वॉन टेलिकॉम के प्रोमोटर शाहिद बलवा, पूर्व दूर
संचार मंत्री ए राजा के सचिव आरके चंदौलिया, आसिफ बलवा, राजीव अग्रवाल और
फिल्मकार करीम मोरानी शामिल हैं।
द्रमुक प्रमुख और तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री एम करूणानिधि की बेटी 43 वर्षीय बेटी कनिमोई पिछले पांच महीने से दिल्ली स्थित तिह़ाड जेल में बंद हैं। उन्हें 20 मई को गिरफ्तार किया गया था। इससे पहले भी कनिमोई जमानत पाने की कोशिश कर चुकी हैं, लेकिन उसे सफलता नहीं मिल पाई। विशेष न्यायाधीश ओपी सैनी ने जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि यह बात कल्पना से भी परे हैं कि कनिमोई के साथ उनके महिला होने की वजह से भेदभाव किया जा रहा है। अदालत ने कहा कि आरोपियों पर लगाए गए आरोप अत्यंत गंभीर प्रकृति के हैं और अर्थव्यवस्था पर इनका गंभीर प्रभाव प़डा है। अदालत ने कहा, मामले से जु़डे तथ्य और आरोपियों के खिलाफ लगाए गए आरोप बहुत गंभीर प्रकृति के हैं, जिनका देश की अर्थव्यवस्था पर गंभीर प्रभाव प़डा। मेरा यह मानना है कि किसी आरोपी की जमानत का कोई मामला नहीं बनता। कनिमोई की याचिका खारिज करते हुए जस्टिस सैनी ने कहा, हम किसी भी तरह से सोचें, तब भी यह नहीं कहा जा सकता कि महिला होने के नाते उनके साथ कोई भेदभाव हो रहा है।
द्रमुक प्रमुख और तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री एम करूणानिधि की बेटी 43 वर्षीय बेटी कनिमोई पिछले पांच महीने से दिल्ली स्थित तिह़ाड जेल में बंद हैं। उन्हें 20 मई को गिरफ्तार किया गया था। इससे पहले भी कनिमोई जमानत पाने की कोशिश कर चुकी हैं, लेकिन उसे सफलता नहीं मिल पाई। विशेष न्यायाधीश ओपी सैनी ने जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि यह बात कल्पना से भी परे हैं कि कनिमोई के साथ उनके महिला होने की वजह से भेदभाव किया जा रहा है। अदालत ने कहा कि आरोपियों पर लगाए गए आरोप अत्यंत गंभीर प्रकृति के हैं और अर्थव्यवस्था पर इनका गंभीर प्रभाव प़डा है। अदालत ने कहा, मामले से जु़डे तथ्य और आरोपियों के खिलाफ लगाए गए आरोप बहुत गंभीर प्रकृति के हैं, जिनका देश की अर्थव्यवस्था पर गंभीर प्रभाव प़डा। मेरा यह मानना है कि किसी आरोपी की जमानत का कोई मामला नहीं बनता। कनिमोई की याचिका खारिज करते हुए जस्टिस सैनी ने कहा, हम किसी भी तरह से सोचें, तब भी यह नहीं कहा जा सकता कि महिला होने के नाते उनके साथ कोई भेदभाव हो रहा है।
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