हर गांव में खण्डहर बने दिखाई दे रहे है भवन
ब्यूरो प्रमुख // संतोष प्रजापति (बैतूल// टाइम्स ऑफ क्राइम)
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बैतूल. इस बात में कटु सच्चाई है कि बैतूल जिले की सभी ग्राम पंचायतों में सर्व शिक्षा विभाग के द्वारा स्वीकृत कीचन शेड, अतिरिक्त कक्ष के लिए निमार्णधीन भवनो के लिए स्वीकृत राशी राजीव गांधी शिक्षा मिशन के बीआरसी , इंजीनियर , ग्राम पंचायत के सरपंच - सचिव ने निकाल कर आपस में बांट ली जिसके चलते आज भी राजीव गांधी शिक्षा मिशन के एक दो नहीं बल्कि सैकड़ो निमार्णधीन कार्य आधे-अधुरे खण्डहर की शक्ल में पड़े हुए दिखाई दे रहे है। जिले में राजीव गांधी सर्व शिक्षा अभियान के तहत स्वीकृत भवन एवं अतिरिक्त कक्ष निर्माण कार्यो की स्थिति यह है कि लगभग आधे निर्माण कार्य हमेशा दस्तावेजों में प्रगतिरत ही बने रहते हैं। इस स्थिति से नाराज बैतूल जिला कलैक्टर बी चन्द्रशेखर ने हाल ही में मिशन के निर्माण एजेंसियों की बैठक ली थी, जिसमें साफ शब्दों में कहा गया था कि जनवरी तक प्रगति वाली स्थिति नजर नहीं आना चाहिए, लेकिन इसके बाद भी निमार्ण कार्यो की गति वही कछुआ चाल की तरह है। बैतूल जिला कलैक्टर की कड़ी फटकार के बाद भी उनके आदेश पर कोई असर होता नजर नहीं दिखाई दे रहा है जिसके पीछे की वजह साफ है कि जिस खाते में भवन निमार्ण कार्य की राशी डाली गई थी वह खाता निरंक हो चुका है। आपस में साठगांठ कर रूपयों की बंदरबाट के चलते गांवों के अतिरिक्त कक्ष एवं कीचन शेड़ आज भी मुंह चिढ़ाते अपनी किस्मत को कोस रहे है।
कई स्कूलों के परिसर के खण्डहर बने स्कूलों के हालात तो यह है कि वे किसी भी दिन ढह सकते है। गांवो के इन निमार्णधीन भवनो के टीन के बने दरवाजे और खिड़कियों में छेद बढ़ते जा रहे है। निर्माण कार्यो की लेटलतीफी का आलम यह है कि महंगाई की मार में कई निर्माण कार्यो का काम स्वीकृत स्टीमेट में नजर ही नहीं आ रहा है। समय पर काम न होने का खामियाजा यह है कि अब निर्माण कार्यो के स्टीमेट रिवाइस करने के बहाने उस कार्य को पूरा करना बताया जा रहा है। मौजूदा परिस्थिति में राजीव गांधी सर्व शिक्षा मिशन को एक बार फिर लाखों रूपए का अतिरिक्त नुकसान उठाना होगा तभी खण्डहर भन की सूरत में नजर आएगें। एक बार फिर मिशन की आंख में धूल झोकने के लिए संविदा इंजीनियरों द्वारा पूर्व में स्वीकृत भवन के निमार्ण कार्य की राशी में अब अतिरिक्त तकरीबन 40 प्रतिशत एबो पर स्टीमेट रिवाइस करना पड़ेगा। राजीव गांधी शिक्षा मिशन के अनुसार जिन तथा कथित 333 निर्माण कार्यो को पूर्ण बताया जा रहा है वहां पर हालात यह है कि भवन की पुताई तक नहीं हो सकी है।
कुछ भवनो की खिडक़ी और दरवाजे दम तोड़ चुके है। राजीव गांधी शिक्षा मिशन जिन 199 आधे - अधूरे पड़े निमार्ण कार्य को पूर्ण करने के लिए उसके स्वीकृत बजट में 40 प्रतिशत बढ़ोतरी की बात कर रहा है दरअसल उनकी हालत यह है कि उन पर लैंटर तक नहीं डला है। अब इंजीनियर डीपीसी और बीआरसी तीनो एक बार फिर दोनो ंहाथो में रसमलाई के लिए शासन को गुमराह कर रहे है ताकि किसी भी तरह से उन आधे - अधुरे पड़े निमार्ण कार्यो के लिए पुन: सीसी जारी हो सके। जैसे ही इन निर्माण कार्यो की सीसी जारी होगी तो निर्माण एजेंसियां इन्हें उपयोग के लिए मिशन के हैंडओवर कर देंगी। पिछले कई महीनों से यह काम सीसी का इंतजार कर रहे हैं। मिशन का कहना है कि अधिकांश निर्माण कार्य पुराने हैं। निर्माण कार्यो को लेकर कलैक्टर ने सभी के लिए जनवरी की डेड लाइन तय कर दी है।
लंबित और प्रगतिरत बताए जा रहे कार्यो को जनवरी तक पूरा न करने की स्थिति में संबंधित एजेंसी से होने वाली नुकसान की रिकवरी के निर्देश भी दिए गए हैं। जो सरकारी आंकड़े हैं उसके अनुसार 122 निर्माण कार्य अभी शुरू भी नहीं हो पाए हैं, वहीं 1395 निर्माण कार्य शुरू तो हो गए हंै, लेकिन आधे-अधूरी हालत में पड़े हुए हैं जिन्हें रिकॉर्ड में प्रगतिरत बताया जा रहा है। निर्माण एजेंसियों की वजह से काम में देरी हो रही है। कलेक्टर द्वारा सभी निर्माण कार्य पूरा कराने के लिए जनवरी की समय-सीमा तय की है। कलैक्टर द्वारा रिक्वरी करवाए जाने की स्थिति में सरपंच, सचिव, संविदा इंजीनियर, इंजीनियर, बीआरसी, डीपीसी का संयुक्त गठबंधन अब जिला कलैक्टर के तबादले का इंतजार करने में लगा है ताकि कलैक्टर के जाते ही उक्त तथाकथित आधे - अधुरे पड़े निमार्ण कार्यो की रिक्वरी न हो सके।
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