जिला प्रतिनिधि // मंजीत छाबड़ा (नरसिंहपुर // टाइम्स ऑफ क्राइम)
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नरसिंहपुर. पंरपरागत साधनों पर बिजली उत्पादन का लगातार दबाब बढ़ता जा रहा है। मांग और आपूर्ति का अंतर पिछले कुछ सालों में गहराया है। स्वाभाविक रूप से सीमित साधनों के जारिए आपूर्ति बड़ी चुनौती है। वही गैर-पंरपरागत संसाधन काफी खर्चीले है ऐसे में बिजली की बचत ही एक मात्र उपाय है। जनसामान्य बिजली आपूर्ति की मांग के लिए हमेशा प्रतिबद्व रहता है लेकिन बचत का कत्र्तव्य निभाने खुद बिजली विभाग अछुता नजर आता है। लेकिन विभागीय स्तर पर अनेकों कार्यालयों में बिजली बचत नहीं रोकी जाती।
नहीं लगे सी एफ एल
कलेक्ट्ेड भवन सहित शहर के बिजली दफ्तरो में भी उर्जा संरक्षण के कोई उपाय नहीं हुए है। विभागीय कार्यालयों में आज भी एक-एक कमरे में 2-4 ट्यूब लाइट के साथ दशकों पुराने भारी पंखे चल रहे है। जानकारों का कहना है कि सबसे पहले विद्युत मंडल अपने गिरेबान में झंाकना होगा तब आम आदमी को उर्जा सरंक्षण के प्रति चेताना होगा।
शासकीय कार्यालयों में उर्जा बचत की सोच जरूरी
नरसिंह भवन में आज भी अधिकारियों के रूम में हीटर पर चाय बनाई जाती है। रूम हीटर का उपयोग भी देखा गया है। कूलिंग सिस्टम का उपयोग, सी एफ एल का उपयोग न होगा। उर्जा बचत सोच की बात की जाए तो हीटर का बजाए गैस में बनाना। कूलिंग सिस्टम की समय- समय पर देख भाल। वायरिंग की जांच समय पर हो। जरूरत न होने पर भी सिवच चालू छोड देना। बिना आई एस आई मार्क वाले उपकरणों का इस्तेमाल करना। कमरे से बाहर जाते समय लाइट और पंखे चालू छोड़ देना। मांग के अनुपात बिजली की आपूर्ति लगातार बढ रही है। सोलर प्लेट, सी एफ एल आदि का उपयोग करके के हम उर्जा की बचत कर सकते है। म.प्र पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी नरसिंहपुर के अधीक्षण यंत्री वी.कुमार भी इस बात पर जोर देते है कि संसाधन ऐसे होना चाहिए की जिनसे बिजली का कम उपयोग हो और उर्जा की बचत हो सके।
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