चेहरा कितना हसीन है मेरे जनाब का
चेहरा कितना हसीन है मेरे जनाब का
खिलता हुआ कंवल है हुस्नो शबाब का
एक नूर सी चमक आँखों ने उनकी पाई
चांदनी की रौनक जंमी पे उतर आई
जलती हुई शमां हो जैसे हिजाब का
चेहरा कितना हसीन है मेरे जनाब का
उनकी तरफ जो देखे दुनिया को भूल जाये
बेखुदी में गुम हो वो कुछ भी समझ न पाये
चढ़ता हुआ नशा हो जैसे शराब का
चेहरा कितना हसीन है मेरे जनाब का
कवि – लोकेश उपाध्याय
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