सरकारी रिकार्ड में मात्र तीन दिन में गुम हो गई पांच करोड़ की बिल्डिंग
बैतूल से रामकिशोर पंवार की रिपोर्ट....
toc news internet channal
निमार्णाधीन फोर लेन एवं एनएच 69 पर बन रहे ससुंद्रा इंट्रीगेटेड बेरियर के लिए जमीन अधिग्रहण के मामले में एक हैरत अंगेज दस्तावेजों का कारनामा सामने आया है। तथाकथित मौके पर बनी 5 करोड़ लागत की बिल्डिंगों के अस्तित्व को एक विभाग स्वीकार कर रहा है तो ठीक उसके तीन दिन बाद अपनी एक रिपोर्ट में मौके पर मौजूद इन बिल्डिंगों को एक अन्य विभाग लापता करार दे रहा है। यह पूरा मामला पीडि़त एवं प्रभावित किसानों को बिल्डिंगों के मुआवजे से वंचित करने के लिए किया गया है। वैसे आम तौर पर देखा जाए तो यह एक तरह की कूट रचित षडय़ंत्र का मामला है। यदि इसमें नियम से कार्रवाई हुई तो एमपीआरडीसी के अफसरों पर सीधे एफआईआर लांच हो सकती है।
प्रभावित किसान इस मामले में दोनों रिपोर्ट के साथ हाईकोर्ट में दस्तक देने की तैयारी में है। न्यायलय के आदेश पर एसडीएम मुलताई ने ग्राम रायसेड़ा और सोमलापुर में प्रभावित किसानों की जमीनों के सीमांकन के लिए 22 मार्च को भूअभिलेख अधीक्षक एचआर घोरमाड़े के नेतृत्व में दल गठित किया जिसमें तीस मार्च और पांच अप्रैल को सीमांकन करने के बाद 9 अप्रैल को एसएलआर ने अपनी रिपोर्ट दी जिसमें बताया गया कि खसरा नंबर 326 /4 में भवन निर्माण कार्य चालू है। 326/3 में भवन निर्माण के लिए कालम खडे किए गए है। 326/1 में भवन निर्माण का कार्य चालू है। 324/1 में पार्किग स्थल के लिए समतलीकरण किया जा रहा है। ग्राम रायसेड़ा के पटवारी हल्का नंबर 17 में भू अर्जन की कार्रवाई में प्रभावित किसानों को लेकर एक सूची और रिपोर्ट एमपीआरडीसी (मप्र सडक़ विकास निगम) के सहायक महाप्रबंधक ने प्रशासन को दी जिसमें उन्होंने पटवारी हल्का नंबर 326/3, पटवारी हल्का नंबर 326/4 और पटवारी हल्का नंबर 326/1 में किसी भी तरह का निर्माण न होने की जानकारी दी। जबकि मौके पर भवन निर्माण कार्य चल रहा है। रिपोर्ट के संपत्ति विवरण कालम में उन्होंने निरंक बताया है। इस सूची में 18 किसानों के नाम दिए गए है। पूरे मामले में पीसी डेहरिया, एसडीएम मुलताई का कहना है कि मेरे पास 9 अपै्रल की रिपोर्ट है और उसमें भवन मौजूद है।
यदि एमपीआरडीसी ने भवन नहीं होना बताया है तो यह कूट रचना की श्रेणी में आएगा यदि प्रभावित किसान मामले में शिकायत करते हैं तो जांच के बाद एफआईआर भी संभव हैं। इस प्रकरण के एक अधिकारी प्रवीण निमझे, एजीएमइस का कहना है कि जिस समय मैंने रिपोर्ट दी थी उस समय कोई भवन नहीं था केवल खनन हुआ था। इस मामले में मैं अपने डीजीएम से बात करने के बाद ही कुछ कहूंगा। कलैक्टर साहब के आदेश है किसी भी हालत में काम न रोके। इधर प्रभावित किसान उमाकांत माथनकर का कहना साफ है कि उक्त मामले में दोनों रिपोर्ट के आधार पर हम तीन दिन में भवन चोरी हो जाने की शिकायत पुलिस में करेंगे और मामले को लेकर हाईकोर्ट में दस्तक देेगे।
No comments:
Post a Comment