बैतूल से एक-एक करके सभी विभागों का बंधने लगा बोरिया बिस्तर
बैतूल से रामकिशोर पंवार की रिपोर्ट....
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ताप्तीचंल में मौजूद प्रधानमंत्री ग्रामीण सडक़ एवं नेशनल हाइवे से जुड़े सभी डिवीजन कार्यालयों के अचानक बंद होने के फरमान से बैतूल का वजूद मिटने लगा है। पूर्व सासंद स्वर्गीय विजय कुमार खण्डेलवाल के अथक प्रयासों के बाद बैतूल आए भारत सरकार के अधिकांश कार्यालयों का बोरिया बिस्तर बंध चुका है। कई बैतूल को छोड़ कर पड़ौसी छिन्दवाड़ा जा चुके है तथा कई जाने की कतार में है। बैतूल पीआईयू का भविष्य सिर्फ 31 मार्च 2013 तक ही है। इसके बाद इस पीआईयू का बोरिया बिस्तर बंध जाएगा। संभावना तो यह है कि इसे भोपाल पीआईयू में मर्ज किया जा सकता है। एनएचएआई का यह दफ्तर बंद होने का सीधा असर निर्मित होने वाले फोरलेन पर पड़ता नजर आ रहा है। फिलहाल पीआईयू के बोरिया बिस्तर बंधने को फोरलेन की प्रक्रिया के सुस्त होने से भी जोडक़र देखा जा रहा है। कहां जा रहा है कि थ्रीडी नोटिफिकेशन और उसके बाद प्रकाशन तथा जनसुनवाई और थ्रीजी प्रकाशन का लेटलतीफ सिस्टम इस बात की ओर इशारा कर रहा है कि कहीं न कहीं जानबूझकर नोटिफिकेशन और प्रकाशन में लंबा अंतराल किया गया है।
बरहाल जो भी हो लेकिन भविष्य में फोरलेन का निर्माण शुरू होना है उससे जुड़ी समस्याएं और मानीटरिंग का पूरा मामला पीआईयू का यह दफ्तर बंद होने से उलझन में आ जाएगा। जिले का माडल एवं आदर्श बैतूल का एक प्रस्वावित बहुप्रतिक्षित कम्पोजिट कलैक्ट्रेट सिर्फ कागजों और फाइलों में विकसित की डींगे मार रहा है। इस विकास का असर यह है कि निर्माण एजेंसी को साढ़े तीन करोड़ देने के बाद भी मौके पर एक ईट भी नहीं जुड़ी और लागत बढक़र 10 से 14 करोड़ हो गई है। इसके बाद भी निर्माण एजेंसी के कान में जू नहीं रेंग रही है। मजेदार बात तो यह है कि हमारी प्रशासनिक व्यवस्था का असली चेहरा है उजागर होने के बाद भी प्रशासन और जनप्रतिनिधियों का मौनवृत जारी है। इससे पहले भी इस विभाग को छिन्दवाड़ा जिले के संतरा नगर पांढुर्णा में मर्ज की कोशिश करीब 6 महीने पहले पूर्ण हो चुकी है। बैतूल पीआईयू को बंद कर उसका मर्ज पांढुर्णा पीआईयू में कर दिया गया था उस समय भी इस बात को लेकर तगड़ा राजनैतिक विरोध भी सामने आया था जिसमें भाजपा जिला अध्यक्ष ने मोर्चा भी खोला था बाद में इस मामले को लेकर मुलताई विधायक सुखदेव पांसे भी सामने आए थे और बैतूल सांसद ने केंद्रीय भूतल एवं परिवहन मंत्री को पत्र भी लिखा था उस समय तो एक माह के अंतराल के बाद वापस बैतूल पीआईयू को बहाल कर दिया गया था लेकिन अब फिर मार्च में इस पीआईयू का कार्यकाल समाप्त बताकर इसे वाइंडअप किया जा रहा है। इसका नुकसान यह है कि बैतूल भोपाल और नागपुर के मध्य में है। यदि शाहपुर के किसी आदमी को पीआईयू से संबंधित शिकायत है तो उसे लंबा सफर तय करना पड़ेगा। साथ ही बैतूल ओबेदुल्ला गंज फोरलेन निर्माण में मानीटरिंग भी सही तरीके से नहीं हो पाएगी। इधर सबसे चौकान्ने वाली खबर यह है कि बैतूल में कम्पोजिट कलैक्ट्रेट निर्माण के लिए प्रशासन ने पीडब्ल्यूडी पीआईयू होंशगाबाद को तीन किश्तों में अब तक 3 करोड़ 63 लाख रूपए का भुगतान कर दिया है।
यह भुगतान दो साल के दौरान किया गया है, लेकिन कम्पोजिट कलैक्ट्रेट के नाम पर एक ईट भी नहीं जुड़ सकी है। तीन मंजिला बनने वाले इस कम्पोजिट कलैक्ट्रेट की लागत दस करोड़ रूपए थी लेकिन प्रशासनिक लेटलतीफी की वजह से अब इसकी लागत बढक़र 14 करोड़ हो गई है। हाल ही की नई डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट के अनुसार यह लागत तय की गई है और इसे फिर से नए टीएस के लिए कमिश्नर को भेजा जा रहा है। टीएस जारी होने के बाद प्रशासनिक स्वीकृति ली जाएगी। पूरे मामले पर बैतूल जिला कलैक्टर बी चन्द्रशेखर का नपातुला जवाब यह था कि इस मामले में वाकई काफी लापरवाही बरती गई है।
अब मैं उच्च स्तर पर इस मामले में बात करूंगा और लागत बढऩे को लेकर दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई के लिए कहूंगा। वही दुसरी ओर संभागीय परियोजना यंत्री पीडब्ल्यूडी पीआईयू होशंगाबाद अनिल गौर कहते है कि शासन की तरफ से आर्किटेक्ट नियुक्त करने और उसके बाद डीपीआर बनाने जैसी प्रक्रिया के कारण लेटलतीफी हुई है लेकिन उम्मीद है कि जल्द टीएस जारी हो जाएगी। बैतूल पीआईयू के बंद होने से और उससे जुड़े मसले को लेकर प्रोजेक्ट डायरेक्ट बीपी गुप्ता से पाइंट टू पाइंट बात की गई तो उनका कहना था कि इस मामले में वे कुछ भी कहने के लिए अधिकृत नहीं है और सभी परिस्थितियों से उच्च स्तर को अवगत करा चुके हैं। वैसे भी यह दफ्तर स्थाई नहीं होता है जहां काम चलता है वहां पर रहता है अब यहां मार्च में बंद किया जा रहा है तो इसका कोई विकल्प होगा।
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