यह कैसी विडम्बना एक मां को मृतक बेटे के लिए कन्धें नही मिले
शव को अकेले लेकर भदभदा विश्राम घाट पहूंची मां
भोपाल . मानवीय पहलूओं को दरकिनार करते हुए एक दिल दहलाने वाली प्रत्यक्ष घटना जनसंवेदना (मानव सेवा मे समर्पित संस्था) के सामने आई जिसमें हमीदिया चिकित्सालय में उपचार दौरान मृत हुए उत्तरप्रदेश ललितपुर ग्राम बछलापुर निवासी एक युवक के अन्तिम संस्कार कराने के लिए मां तथा एक अन्य रिश्तेदार शव को लेकर भदभदा विश्राम घाट पहुंचे।
यहॉ पर मृतक युवक की मां एवं रिश्तेदार के पास दाह संस्कार के लिए राशि भी नहीं थी वहॉ पर तैनात चौकीदार ने जनसंवेदना प्रमुख से दूरभाष पर बताया कि ललितपुर जिले के ग्राम बछलापुर निवासी मृतक नरपतसिंह के अन्तिम संस्कार के लिए उसकी मॉ के साथ आई है और एक रिश्तेदार भी साथ है उसके पास दाह संस्कार की लकड़ी खरीदने के लिए पैसे नहीं हैं।
चौकीदार के दूरभाष मिलने पर तत्काल उससे कहा कि जितनी दाह संस्कार में लकडी की जरूरत हो उसे दिलाकर मृतक नरपतसिंह का अन्तिम संस्कार कराके भुगतान जनसंवेदना द्वारा किया जायेगा। बढ ती चका चौंध की जिन्दगी में कैसा समय आ गया है कि परिचित एवं रिश्तेदारों की अचानक मौत हो जाने पर उसको चार कंधे लगाने वाले नही मिल रहे हैं कहॉ गई हमारी मानवीय दायित्व। अगर भोपाल महानगर में ऐसी समाज सेवी संस्था न हो तो लाशों की दुर्दशा क्या होगी जो कल्पना से परे हैं।
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