Monday, August 6, 2012

अपराध में फंसाकर अकारण ही किया गरीब का भविष्य बबार्द


आत्मकथा

तहसील प्रमुख // सत्य प्रकाश शर्मा  (खुरई// टाइम्स ऑफ क्राइम) 
तहसील प्रमुख से संपर्क:-98268 55356
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  • सामूहिक घिनौनी राजनीति ने किया गरीब का भविष्य बर्बाद, निराकार भगवान, क्षेत्रीय प्रशासकीय भगवान एवं स्वयं के भगवान, एवंआम जन के द्वारा चुने भगवान पूर्णत: निर्दोष उनके अधीनस्थो  के मौखिक आरोपों से गन्दी नीति के लोगों ने किया बर्बाद । 
  • गरीब स्वयं ही दोषी क्योंकि किया इतना बड़ा घिनौना काम, फ ंस तो गया  गिने - चुने 12 दुराचारी, जो समाज को, प्रशासन को गंदा करने में लगे था, बहुत बड़ी पोल में 12 साल नीचे तक जाकर घिसा, तब पकड़ में आये 
  • गरीबों को सरेआम बेइज्जत कर उनकी इज्जत एवं धन लूट रहे है, गरीब का कोई नहीं होता। अत: गरीब एकांत पाकर निराकार भगवान, प्रशासकीय भगवानों एवं स्वयं के सीधे-साधे साक्षात भगवानों,की शरण में  शरणागत,गरीब का शेष जीवन इन्हीं की शरण में सुरक्षित है। पुन: दुर्गति करने को आत्मा बोल नहीं रही है। गरीब आत्मा की आवाज पर निराकारभगवान का भजन अपने तरीके से करता ही रहता है। गरीब की आजीवन जान-माल की गुहार हे प्रभू स्वीकार करें। मिले, जिनका सुधार जनता, समाज, राजनीति, एवं धर्म की रक्षा हेतु ....


खुरई. शहर में आत्म मंथन एक गरीब ने कई वर्ष से किया जिसमें आत्मा की आवाज पर गरीब स्वयं दोषी निकला, कि जिसने इतना घिनोना अपना कार्य करके अपने सरल और सहज स्वभाव को दर्शाकर स्वयं ही सामूहिक रूप से तरह-तरह की घिनोनी राजनीति के तहत तरह-तरह के आपराधिक, झूठे मौखिक आरोपों से अपमानित,बेइज्जत कर, अपूर्तिनीय क्षति, सामूहिक रूप से मानसिक, आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक चौतफा क्षति पहुंचाने का कार्य, इस गरीब को अकारण ही, क्षेत्रीय बोल-बाले (ढर्रा) के तहत बिना किसी शिकायत शिकवा के केवल स्वार्थियों के अनैतिक कार्य करने के दबाव में इन सभी ने एक राय होकर गरीब को एक बहुत बड़ी पोल के अंदर घेर कर पटक लिया, और सभी ने मिलकर, इतना पीसा-इतना पीसा कि गरीब का दिल ही टूट गया और मरा हुआ समझकर उपर निकल आया है तथा हर देवी, देवताओं के स्थानों, सार्वजनिक स्थान तथा जहां पर कैदी रूकते है, बिल्कुल एकांत में पहुंचकर उस निराकार भगवान से केवल यही प्रार्थना करने लायक रह गया है, कि हे भगवान इस गरीब ने आज तक किसी का कुछ बिगाडऩे की सोची तक नहीं, उलटा सम्मान ही किया है, जिस प्रकार जैसे भी जिसका जितना बना, किन्तु इतनी बड़ी बेइज्जती एवं आर्थिक क्षति गरीब को मात्र मौखिक गन्दे-गन्दे, व्यर्थ में ही अपमानित करने वाले झूठे आरोप लगाकर चारों तरफ  से अपूर्तिनीय क्षति पहुंचाई गई है।  जिसकी आपूर्ति तो वह निराकार भगवान ही करने के उपाय बतायेंगे, अब भला गरीब तो प्राय: सभी को भली भांति समझ (पहचान)चुका है, कि इस शहर के अन्दर कौन क्या है, अब तो वह हर तरह के लोगों का सम्मान कर, अभी भी उनको अपना समझकर, उस निराकार भगवान की भक्ति में लीन हो गया है और प्रार्थना करता रहता है, कि हे निराकार भगवान इस संसार रूपी सागर में कोई किसी का नहीं है, इसे तैरकर आसानी से पार करने की शक्ति पाने हेतु भीख मांगने हेतु जुट गया है, और शेष बचा जीवन अपने घर पर ही बैठकर अपने परिवार, रिस्तेदारों, समाज के सभी मेलीय सभ्य लोगों तथा अच्छी से अच्छी राजनीति करने वालों,धार्मिक बन्धुओं, गरीबों, सभी के बीच रहकर सभी को सम्मान देते हुए काटने की ठान ली है। क्योंकि निराकार भगवान तो हर बुरे से बुरे जीव की रक्षा करने हमेशा प्राय: तैयार ही रहते है, क्या इस गरीब का उद्धार नहीं करेंगे, संभव सा नहीं लगता?

जिस गरीब को पागल या ना जाने क्या-क्या कहकर अपमानित, बेेइज्जत सामूहिक रूप से किया गया होतथा बिल्कुल निराधार झूठे आपराधिक सामूहिक षडय़ंत्रों से अपमानित बेइज्जत किया गया हो, इसलिए निराकार भगवान के अलावा, निराकार प्रशासनिक भगवानों, आमजन के चुने भगवानों, से भी यह गरीब प्रार्थना करता है कि उसकी यह आत्मा की आवाज एफ.आई.आऱ समझकर दर्ज कर ली जावे, कुछ नाम प्रशासकीय भगवानों के कार्यालयों में लिखे रखे है, इन कार्यालयों में प्रशासकीय भगवानों की आंखों में अधीनस्थ, भ्रष्टाचार के मद में, अपनी सुरक्षा के मद में एवं घिनोनी राजनीति एवं वकालत करने वालों से मिलने वाले हर किस्मी सहयोग के मद मे मदमस्त  होकर धूल झोंककर न्याय को भी अपने मौखिक तुगलकी आदेशों एवं इनके द्वारा अकारण ही कराये गये कृत्यों से चौतरफा अकारण ही क्षति गरीब को पहुंची है, तथा असमाजिक तत्वों तक के हौसले बुलंद हो गये है, यदि इस गरीब के साथ या परिवार जन के साथ कोई अनहोनी घटना घटित होती है,तो हर तरह की गन्दी राजनीति करने वाले दल ही जिम्मेवार रहेंगे। अत: हर प्रकार से सहायता प्रदान करने की प्रार्थना यह गरीब कर रहा है, क्योंकि गरीब के माता-पिता को इस गरीब व परिवार को जान और माल की धमकियां दुराचारियों के द्वारा लगातार अकारण ही दी जा रहीं है, जबकि अकारण ही इस गरीब को दुराचारियों ने मुंह दिखाने और कुछ करने के लायक नहीं छोड़ा है। अंत में हे निराकार भगवान, तथा साकार स्वयं के एवं प्रशासनिक भगवानों, आम जन से चुने भगवानों से इस गरीब को सद्वबुद्धि से सद्चरित्र, एवं समार्ग पर चलने की शक्ति प्रदान करें, इसलिए यह गरीब अब केवल आपकी ही सेवा आजीवन करता रहेगा। क्योंकि ऐंसा गरीब तो तभी इस संसार रूपी सागर में रह पायेगा, तथा इस गरीब के साथ अन्य जो अतिगरीब है, उनकी रक्षा के लिए भी आजीवन प्रार्थना में लगा रहेगा क्योंकि अब तो इस गरीब की आत्मा से बारम्बार यही अपने आप उद्गार निकलते हैं, कि निराकार भगवान, वे चाहे दैवीय हों या प्रशासकीय, आमजन के चुने भगवानों, तथा साक्षात भगवानों के सिवाय अन्य कोई किसी का इस संसार में हो ही नहीं सकता, अत: अब तो यह गरीब इनकी ही शरण में रहेगा और आजीवन अपने अनुसार पूजा करता रहेगा, चाहे उसे और संघर्ष क्यों न करना पड़े, अकारण ही किसी का गुलाम बनकर नहीं रहेगा और अपनी पागल बुद्धि से जीवन जीने की सोचता रहता है, और अनजाने में जो बुरा हो गया है, उसके लिए पश्चाताप भी करता रहता है, और आजीवन करता रहेगा।  

अकारण ही कोई गरीब किसी की भी वह बात क्यों माने, जो गरीब की समझ से बाहर हो, गरीब के हित की न हो, अहित स्पष्ट झलकता हो, षडय़ंत्र दिखाई देता हो, अकारण ही क्यों माने? क्या कोई गरीब किसी का गुलाम होता है? यह गरीब शुद्ध अन्न मात्र जीने के लिए खाता है और निराकार भगवानों से प्राप्त सद्वबुद्धि से मात्र अपने परिवार के रिस्तेदारों, सभी साफ -स्वच्छ आत्माओं, गरीब के निस्वार्थ मेलीय लोगों की रक्षा व उनकी खुशहाली के लिए प्रयत्नशील है, क्योंकि निराकार भगवानों की कृपा से ही वह सभी को मिलता है, जो इस गरीब को भी अपने घर पर बैेठकर मिलने की प्रेरणा इस संसार रूपी सागर में तैरते -तैरते मिल चुकी है, इस गरीब को अपने विगत 27 वर्षो के कार्यकाल में खुरई में जो पिछले 12 वर्ष बिताये जहां अकारण ही सामूहिक रूप से अकारण ही हर तरह की क्षति सहन करते हुए,किसी न किसी के अवैध दबाव में आज तक नि:स्वार्थ जगह-जगह अपना कार्य पूर्ण ईमानदारी एवं लगन से बिना शिकायत शिकवा के किया, कहीं भी कुछ नहीं मिला, इसलिए अब तो निराकार भगवानों के सहारे ही जीवन जीने तथा और भी शिक्षायें प्राप्त करने की ठान चुका हूं, और बिना कारण के ही जो गरीब व उसके परिवार को बर्बाद करने पर उतारू है,जो इस गरीब की नजरों में कैद हो गये है,जो अलग-अलग तरह से, अपनी-अपनीे सीखी हुई घिनोनी राजनीति के तहत भ्रष्टाचारी, नीच, कुकर्मी (सामाजिक एवं राजनैतिक) जिनसे इस गरीब की सही तरीके से बात तक नहीं हुई, किसी गरीब को गले लगाने या बोलने तक की सोच इनमें नहीं है, जो प्रशासकीय भगवानों की आंखों में धूल झोंकने में माहिर हैं और इसमें ही अपनी शान व सब कुछ समझते हैं, तथा वर्तमान में भी गरीब सहित पूरे परिवार को जान व माल से बर्बाद करके, हर प्रकार से गरीब की साफ -स्वच्छ छवि को किसी आपराधिक षडय़ंत्र में फांस सडक़ पर घसीट-घसीट कर सार्वजनिक रूप से यातनाऐं दिलाकर इस गरीब को शारीरिक कष्ट पहुंचाकर आम जनता के सामने दुराचारियों द्वारा सार्वजनिक स्थलों पर सरेआम बिना किसी शिकायत शिकवा के अपने द्वारा लगाये जाने वाले मौखिक आरोपों की दम पर तथा अपने दिखावटी दुराचारियों के जमावड़े, तथा उनके गुर्गो के द्वारा अकारण के तरह-तरह के असामाजिक, गन्दे-गन्दे गंजेल्ची, गरया आदि आरोप लगाने का काम सरेआम,गुटजोडक़र चुरकटों के द्वारा किये गये है। 

जिनको इन सब महान लोगों का साथ मिलता साफ -साफ दिखा, कईयों ने तो छाती पर ही बैेठकर ढींगें हांकी गरीब को शांति पूर्वक काम नहीं करने दिया, ढीगें हांक- हांक कर झूठे, बिल्कुल निराधार, अपमानित, बेेइज्जत करने वाले आरोप लगाये, तथा शारीरिक यातना दिलाने के लिए विल्कुल झूठे, निराधार आरोपों से ये भ्रष्टाचारी जो वर्षो से अपनी घिनोनी राजनीति के षडय़ंत्रों में ही अकारण इस गरीब को प्रताडि़त अपने मौखिक आदेशों से ही कराते रहे तथा असमाजिक तत्वों को खुलेआम स्वयं के रूपये मांगनेे पर लडऩे झगडऩे को उकसाते रहे तथा जो सभी सांठ-गांठ की घिनोनी राजनीति में फांंसकर भारी हानि विगत 12 वर्षो में कर चुके है। यह सब भ्रष्टाचारियों एवं अकारण की गंदी राजनीति करने वालों ने अपना-अपना बर्चस्व स्थापित करने के लिए किया है तथा इस गरीब को सडक़ पर घसीट-घसीट कर रही-सही जिन्दगी खराब करने की ठाने(सोचे) बैठे है, उस समय के लिए ही मूर्ख उतावले दिख रहे हैं। यह गरीब इनको मूर्ख (पागल)दिखता ही है कि वह सजा खाने फि रता ही रहेगा और सामूहिक यातनायें भोगता ही रहेगा, यही ऐसे घिनाने कृत्य करने वालों की सोच है।  गरीब है, साला क्या करेगा? किन्तु शायद स्वयं चकमा खा जाते है, और यह भी नहीं सोच पाते, कि अकारण ही किसी गरीब का इतना बुरा करने के परिणाम क्या हो सकते हैं, गरीब भी नहीं जानता, चूंकि वह निराकार भगवान सबको देख रहा है कि इस संसार रूपी सागर में कौन क्या कर रहा है और किसे कैसा न्याय देना है,निराकार भगवान तथा प्रशासकीय भगवान आम से चुने भगवान अच्छी तरह से जानते हैं। कौन दोषी है, क्या सजा होनी चाहिए, ऐसे सामूहिक अपराध की, अब गरीब तो निराकार भगवानों की शरण में ही पड़ा रहकर न्याय की प्रार्थना में लग चुका है, जिसे अब कोई डिगा भी नहीं सकता। क्योंकि आज तक इस गरीब नेे किसी का भी बुरा सोचा तक नहीं, करना तो बहुत ही दूर की बात ंहै। गरीब ने जो यातनाऐं अपने जीवन काल में भेागी है, उन सभी से त्रस्त होकर बड़ी मुश्किल से शरण ढूंढी है,और निराकार भगवानों की शरण का आनंद महसूस कर रहा है। 

धन, दौलत, झूठी छवि(शान) बनाने से अच्छा है कि अब अकारण ही इस आत्मा को और दण्डित मत होनेे दिया जाय, ऐंसा उद्गार गरीब की आत्मा से ही निकलता हैं। जिससे यह गरीब अपनी आत्मा की आवाज को मान कर अपने घर बैठ गया है और अपने परिवार रूपी नाव की पतवार निराकार भगवानों के हाथों में सौंप चुका है। तथा आनंद प्राप्त करने में जुट चुका है। इस गरीब के सहयोगी अनगिनत दिखाई देते है, चूंकि दुराचारियों के आतंक की वजह से खुलकर गरीब का साथ देने के लिए कन्नी काटते स्पष्ट दिख रहे हैं। इस गरीब को बहाने बाजियां बताकर गुमराह कर रहे है, इस गरीब का साथ देने में उनको भय महसूस हो रहा है, ऐंसा यह गरीब स्पष्ट छलकता हुआ देख रहा है। अब भी भला वही काम करता रहूं, अब तो आत्मा बोलेगी तब अपना काम करूंगा, नहीं बोलेगी तब तक नहीं करूंगा, वर्तमान में तो जो गरीब अपना सब-कुछ खो चुका हो, उसका क्या हाल होगा, क्या एक विचारणीय बिन्दु सा नहीं दिखता है? गरीब के उपर वर्तमान में बोलना नहीं आता और भी तमाम आरोप लगाने में लगे हुए है, लेकिन गरीब सबकी बातें सुन रहा है तथा अपने घर बैठकर अपने काम से काम रखते हुए निराकार भगवानों की शरण में अपने आपको सुरक्षित,व हर प्रकार से सम्पन्न करने के लिए प्रार्थना में जुट गया है और जुटा ही रहेगा। 

(इस गरीब के अकारण ही किस किस ने कैसे कैसे सामूहिक घिनोनी राजनीति करने वालों ने बर्बाद किया है, क्रमश: अपने समाचार पत्र के माध्यम से ऐंसे दुराचारियों की पोलें मिलने पर खोलता ही रहेगा, पाठकों को इस गरीब की बड़ी रोचक सत्य कहानी से काफी हद् तक देशवासियों को पता चलेगा, ऐंसी इस गरीब की निराकार भगवानों, एवं देशवासियों से कामना है।)

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