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भारत में ऐसा पहली बार होगा जब एक व्यक्ति की शिकायत पर हानिकारक रेडिएशन को आधार बना कोई मोबाइल टावर बंद किया जाएगा। कैंसर पीड़ित की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने 7 दिनों के भीतर एक मोबाइल टावर को बंद करने का आदेश दिया है। ग्वालियर के रहनेवाले 42 साल के हरीश चंद तिवारी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने ये ऐतिहासिक फैसला सुनाया।
दरअसल, हरीश चंद तिवारी 'हॉजकिन्स लिम्फोमा' (एक तरह का कैंसर) बीमारी से ग्रसित हैं। उन्होंने पिछले साल सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई और बताया कि बीएसएनएल के मोबाइट टावर के कारण उन्हें हानिकारक रेडिएशन का शिकार होना पड़ रहा है।
अपनी शिकायत में हरीश ने कहा था कि पड़ोसी के घर की छत पर 2002 में अवैध रूप से बीएसएनएल का मोबाइल टावर लगाया गया और वो जहां काम करते हैं वहां से टावर की दूरी 50 मीटर से भी कम है।
जस्टिस रंजन गोगोई और नवीन सिन्हा की बेंच ने बीएसएनएल को 7 दिनों के भीतर उक्त टावर को बंद करने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई पिछले साल 18 मार्च से शुरू हुई थी।
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