तीस हजार जुर्माना भी किया
रतलाम। कम्प्यूटर प्रशिक्षण योजना की किश्त जारी करने की एवज में रिश्वत मांगना जिला योजना अधिकारी टीवाय पारगी को भारी पडा है। न्यायालय ने उसे एक-एक साल के सश्रम कारावास और 15_15 हजार रुपए के जुर्माना से दण्डित किया है। न्यायालय में बयान से पलटने वाले फरियादी और एक साक्षी के खिलाफ भी कार्रवाई के आदेश दिए गए है।
भृष्टाचार निवारण अधिनियम के विशेष न्यायाधीश एमएस चंद्रावत ने सोमवार शाम इस बहुचर्चित मामले का फैसला सुनाया।
उन्होंने 47 वर्षीय आरोपी टीवाय पारगी निवासी जवाहर नगर भोपाल को रिश्वत मांगने और लेने के आरोपों में भरष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 और 13 (2) के दोषी ठहराते हुए दोनो धाराओं में 1-1 साल के सश्रम कारावास और 15-15 हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया। अर्थदंड नहीं देने पर 3-3 महीने का कारावास अतिरिक्त भुगताने के आदेश दिए। उपसंचालक अभियोजन एसके जैन ने बताया कि लोकायुक्त पुलिस के दल ने 1 मार्च 2012 को कलेक्टोरेट स्थित जिला योजना कार्यालय में आरोपी को 30 हजार रुपए की रिश्वत लेते गिरफ्तार किया था।
पुलिस को उज्जैन निवासी पप्पू पिता विजय बोरासी ने कार्रवाई से पहले 29 फरवरी को लिखित शिकायत की थी। इसमें बताया गया था कि फरियादी का भाई आशीष बोरासी चापावत शिक्षा प्रचार-प्रसार समिति का अध्यक्ष है और समिति को रतलाम जिले के ताल-आलोट में कम्प्यूटर स्थापित कर विद्यार्थियों को प्रशिक्षण देने का 12 लाख रुपए का कार्य मिला था। समिति को इस कार्य की प्रथम किश्त के 7 लाख 16 हजार 400 रुपए जिला योजना कार्यालय से चैक द्वारा मिल गए थे और दूसरी किश्त के 4 लाख 80 हजार रुपए का चैक देने हेतु जिला योजना अधिकारी द्वारा 50 हजार रुपए की रिश्वत मांगी जा रही है। आरोपी ने 1 मार्च को जब 30 हजार रुपए लेकर उसे बुलाया, तब लोकायुक्त पुलिस ने उसे धरदबोचा था।
जैन ने बताया कि मामले की सुनवाई के दौरान पप्पू बोरासी और आशीष बोरासी न्यायालय में बयान से पलट गए। उनके खिलाफ 9 जुलाई 2015 को अभियोजन ने शपथ पर मिथ्या कथन देने के मामले में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 340 के तहत आवेदन प्रस्तुत कर कार्रवाई का आग्रह किया था, जिसे स्वीकार न्यायालय ने दोनो के खिलाफ विविध न्यायिक प्रकरण दर्ज करने और कानूनी कार्रवाई करने के आदेश दिए है।
रतलाम। कम्प्यूटर प्रशिक्षण योजना की किश्त जारी करने की एवज में रिश्वत मांगना जिला योजना अधिकारी टीवाय पारगी को भारी पडा है। न्यायालय ने उसे एक-एक साल के सश्रम कारावास और 15_15 हजार रुपए के जुर्माना से दण्डित किया है। न्यायालय में बयान से पलटने वाले फरियादी और एक साक्षी के खिलाफ भी कार्रवाई के आदेश दिए गए है।
भृष्टाचार निवारण अधिनियम के विशेष न्यायाधीश एमएस चंद्रावत ने सोमवार शाम इस बहुचर्चित मामले का फैसला सुनाया।
उन्होंने 47 वर्षीय आरोपी टीवाय पारगी निवासी जवाहर नगर भोपाल को रिश्वत मांगने और लेने के आरोपों में भरष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 और 13 (2) के दोषी ठहराते हुए दोनो धाराओं में 1-1 साल के सश्रम कारावास और 15-15 हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया। अर्थदंड नहीं देने पर 3-3 महीने का कारावास अतिरिक्त भुगताने के आदेश दिए। उपसंचालक अभियोजन एसके जैन ने बताया कि लोकायुक्त पुलिस के दल ने 1 मार्च 2012 को कलेक्टोरेट स्थित जिला योजना कार्यालय में आरोपी को 30 हजार रुपए की रिश्वत लेते गिरफ्तार किया था।
पुलिस को उज्जैन निवासी पप्पू पिता विजय बोरासी ने कार्रवाई से पहले 29 फरवरी को लिखित शिकायत की थी। इसमें बताया गया था कि फरियादी का भाई आशीष बोरासी चापावत शिक्षा प्रचार-प्रसार समिति का अध्यक्ष है और समिति को रतलाम जिले के ताल-आलोट में कम्प्यूटर स्थापित कर विद्यार्थियों को प्रशिक्षण देने का 12 लाख रुपए का कार्य मिला था। समिति को इस कार्य की प्रथम किश्त के 7 लाख 16 हजार 400 रुपए जिला योजना कार्यालय से चैक द्वारा मिल गए थे और दूसरी किश्त के 4 लाख 80 हजार रुपए का चैक देने हेतु जिला योजना अधिकारी द्वारा 50 हजार रुपए की रिश्वत मांगी जा रही है। आरोपी ने 1 मार्च को जब 30 हजार रुपए लेकर उसे बुलाया, तब लोकायुक्त पुलिस ने उसे धरदबोचा था।
जैन ने बताया कि मामले की सुनवाई के दौरान पप्पू बोरासी और आशीष बोरासी न्यायालय में बयान से पलट गए। उनके खिलाफ 9 जुलाई 2015 को अभियोजन ने शपथ पर मिथ्या कथन देने के मामले में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 340 के तहत आवेदन प्रस्तुत कर कार्रवाई का आग्रह किया था, जिसे स्वीकार न्यायालय ने दोनो के खिलाफ विविध न्यायिक प्रकरण दर्ज करने और कानूनी कार्रवाई करने के आदेश दिए है।
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