-सैंकड़ों आदिवासियों ने किया अर्धनग्न प्रदर्शन
-दो थानों की पुलिस ने सम्हाला मोर्चा, मौके पर मौन रहा प्रशासन
शिवपुरी ब्यूरो
ग्वालियर - देवास फोरलेन निर्माण विवादों के घेरे में पहले से ही आ गया है इसकी गुणवत्ता को लेकर जहाँ उच्च न्यायालय में प्रकरण लम्बित है वहीं निर्माण कार्य में लगी मशीनरी द्वारा शिवपुरी जिले के आदिवासियों के खेतों को खदानों में तब्दील किए जाने का चौंकाने वाला मामला सामने आया है।
आज कम्पनी के करीब आधा सैंकड़ा से अधिक डम्परों को करई कैरऊ क्षेत्र के सैंकड़ों आदिवासियों ने उस समय घेर लिया जब ये डम्फर और तमाम मशीनरी इन आदिवासियों की पट्टे की भूमि पर अवैध उत्खनन कर खनिज ले जाने का प्रयास कर रहे थे। घटना की जानकारी लगते ही बड़ी संख्या में दो थानों का पुलिस बल भी मौके पर पहुंच गया मगर सहरिया क्रांति संगठन के बैनर तले आदिवासियों ने अपने वस्त्र उतारकर कड़ी धूप में नारेबाजी कर प्रदर्शन कर डाला। इनकी माँग थी कि उनके खेतों में किया जा रहा अवैध खनन तत्काल प्रभाव से रोका जाए और जो डम्पर यहाँ खनिज परिवहन के लिए लाए गए हैं उन्हें कार्यवाही की जद में लिया जाए।
-50 हजार की पेशगी पर ठगे गए पट्टाधारी
इस बात में दो राय नहीं कि आदिवासियों की पट्टे पर दी गई भूमि पर किसी तरह का कोई अनुबंध बिना प्रशासन की लिखित अनुमति के नहीं किया जा सकता और न ही इस भूमि को विक्रय किया जा सकता जबकि यहाँ करई कैरुउ क्षेत्र के ग्रामीण आदिवासियों से कतिपय तत्वों ने 500 रुपए के स्टाम्प पर 50 हजार रुपए की बतौर पेशगी देकर यह अनुबंध कराया कि उनके पट्टे की भूमि पर से मुरम उत्खनन किया जा सकता है। इनके खेत इस अनुबंधन के खदान में तब्दील कर दिए गए और यहाँ से जो मोरम खोदी जा रही है वह फोरलेन के अर्थ वर्क में उपयोग की जा रही है। यही कारण था कि कम्पनी सीधे इस उत्खनन अनुबंधन में भले ही सामने नहीं आई हो मगर कम्पनी के जो आधा सैंकड़ा और जेसीबी इन खेतों में खड़ी स्थिति में पाए गए वह इस बात का परिचायक हैं कि पूरा खेल कम्पनी की हित साधना के लिए ही खेला जा रहा है चूंकि कम्पनी के कर्ताधर्ता हाइप्रोफाइल लोग हैं ऐसे में प्रशासन भी उन पर हाथ डालने से छिंटकता है।
-इस तरह हुआ प्रदर्शन
आदिवासियों ने अपनी आंखों के सामने खेतों को खदान में तब्दील होते देखा तो कई रो पड़े, यहाँ सहरिया क्रांति के बैनर तले बड़ी संख्या में सहरियों का हुजूम एकत्र हो गया और इन्होंने तमाम मशीनरी को खेत में ही रोक लिया। घटना की जानकारी लगते ही दो थानों का पुलिस बल यहाँ जा पहुंचा जब उल्टे आदिवासियों ने मशीनरी जब्त करने की माँग कर डाली तो मौके पर मौजूद पुलिस कर्मी भी सकपका गए। एक ओर अवैध उत्खनन रोकने के लिए जिला कलेक्टर टास्क फोर्स की बैठक ले रहे हैं जिसमें पुलिस, फॉरेस्ट और माइनिंग के आला अधिकारी मौजूद रहते हैं दूसरी ओर पुलिस की आंखों के सामने आधा सैंकड़ा डम्पर अवैध खनन करते यहां दिखाई दिए और पुलिस मूक तमाशाई बनी देखती रही जबकि इस अवैध खनन के खिलाफ सहरिया क्रांति के बैनर तले अर्धनग्न होकर सहरियों का समूह कार्यवाही की माँग करता रहा। देखना यह है कि अब प्रशासन इस मशीनरी को कार्यवाही की जद में लेता है अथवा यह अवैध खनन प्रशासनिक संरक्षण में जारी रहता है।
-दो थानों की पुलिस ने सम्हाला मोर्चा, मौके पर मौन रहा प्रशासन
शिवपुरी ब्यूरो
ग्वालियर - देवास फोरलेन निर्माण विवादों के घेरे में पहले से ही आ गया है इसकी गुणवत्ता को लेकर जहाँ उच्च न्यायालय में प्रकरण लम्बित है वहीं निर्माण कार्य में लगी मशीनरी द्वारा शिवपुरी जिले के आदिवासियों के खेतों को खदानों में तब्दील किए जाने का चौंकाने वाला मामला सामने आया है।
आज कम्पनी के करीब आधा सैंकड़ा से अधिक डम्परों को करई कैरऊ क्षेत्र के सैंकड़ों आदिवासियों ने उस समय घेर लिया जब ये डम्फर और तमाम मशीनरी इन आदिवासियों की पट्टे की भूमि पर अवैध उत्खनन कर खनिज ले जाने का प्रयास कर रहे थे। घटना की जानकारी लगते ही बड़ी संख्या में दो थानों का पुलिस बल भी मौके पर पहुंच गया मगर सहरिया क्रांति संगठन के बैनर तले आदिवासियों ने अपने वस्त्र उतारकर कड़ी धूप में नारेबाजी कर प्रदर्शन कर डाला। इनकी माँग थी कि उनके खेतों में किया जा रहा अवैध खनन तत्काल प्रभाव से रोका जाए और जो डम्पर यहाँ खनिज परिवहन के लिए लाए गए हैं उन्हें कार्यवाही की जद में लिया जाए।
-50 हजार की पेशगी पर ठगे गए पट्टाधारी
इस बात में दो राय नहीं कि आदिवासियों की पट्टे पर दी गई भूमि पर किसी तरह का कोई अनुबंध बिना प्रशासन की लिखित अनुमति के नहीं किया जा सकता और न ही इस भूमि को विक्रय किया जा सकता जबकि यहाँ करई कैरुउ क्षेत्र के ग्रामीण आदिवासियों से कतिपय तत्वों ने 500 रुपए के स्टाम्प पर 50 हजार रुपए की बतौर पेशगी देकर यह अनुबंध कराया कि उनके पट्टे की भूमि पर से मुरम उत्खनन किया जा सकता है। इनके खेत इस अनुबंधन के खदान में तब्दील कर दिए गए और यहाँ से जो मोरम खोदी जा रही है वह फोरलेन के अर्थ वर्क में उपयोग की जा रही है। यही कारण था कि कम्पनी सीधे इस उत्खनन अनुबंधन में भले ही सामने नहीं आई हो मगर कम्पनी के जो आधा सैंकड़ा और जेसीबी इन खेतों में खड़ी स्थिति में पाए गए वह इस बात का परिचायक हैं कि पूरा खेल कम्पनी की हित साधना के लिए ही खेला जा रहा है चूंकि कम्पनी के कर्ताधर्ता हाइप्रोफाइल लोग हैं ऐसे में प्रशासन भी उन पर हाथ डालने से छिंटकता है।
-इस तरह हुआ प्रदर्शन
आदिवासियों ने अपनी आंखों के सामने खेतों को खदान में तब्दील होते देखा तो कई रो पड़े, यहाँ सहरिया क्रांति के बैनर तले बड़ी संख्या में सहरियों का हुजूम एकत्र हो गया और इन्होंने तमाम मशीनरी को खेत में ही रोक लिया। घटना की जानकारी लगते ही दो थानों का पुलिस बल यहाँ जा पहुंचा जब उल्टे आदिवासियों ने मशीनरी जब्त करने की माँग कर डाली तो मौके पर मौजूद पुलिस कर्मी भी सकपका गए। एक ओर अवैध उत्खनन रोकने के लिए जिला कलेक्टर टास्क फोर्स की बैठक ले रहे हैं जिसमें पुलिस, फॉरेस्ट और माइनिंग के आला अधिकारी मौजूद रहते हैं दूसरी ओर पुलिस की आंखों के सामने आधा सैंकड़ा डम्पर अवैध खनन करते यहां दिखाई दिए और पुलिस मूक तमाशाई बनी देखती रही जबकि इस अवैध खनन के खिलाफ सहरिया क्रांति के बैनर तले अर्धनग्न होकर सहरियों का समूह कार्यवाही की माँग करता रहा। देखना यह है कि अब प्रशासन इस मशीनरी को कार्यवाही की जद में लेता है अथवा यह अवैध खनन प्रशासनिक संरक्षण में जारी रहता है।
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