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सामाजिक चिंतक के.एन. गोविंदाचार्य ने पं दीनदयाल उपाध्याय की मौत की फिर से जांच कराने की मांग की है। उन्होंने कहा कि जिन परिस्थितियों में दीनदयाल जी की मौत हुई थी, उससे साफ लग रहा था कि उनकी हत्या की गई थी। पर, तत्कालीन सरकार द्वारा कराई गई जांच में इसे हत्या नहीं माना गया था।
आज केंद्र में ऐसी सरकार है जो इस मामले की उच्चस्तरीय जांच करा सकती है और सारे सही तथ्य लोगों के सामने आ सकते हैं। गोविंदाचार्य ने नाम लिए बगैर मौजूदा केंद्र सरकार पर भी निशाना साधा।
वह शुक्रवार को यहां प्रेस क्लब में दीनदयाल उपाध्याय के जन्म शताब्दी वर्ष पर आयोजित संगोष्ठी में बोल रहे थे। भारतीय नागरिक परिषद की तरफ से आयोजित इस संगोष्ठी का विषय था, ‘एकात्म मानववाद और समृद्ध भारत।’
गोविंदाचार्य ने कहा कि तत्कालीन सरकार के समय कराई गई जांच में बताया गया था कि उनकी मौत का कारण हत्या नहीं कुछ और रही है। पर, यह सही बात नहीं लगती। जिन परिस्थितियों में दीनदयाल जी की शव मिला था, उससे यह साफ था कि उनकी हत्या की गई है। हत्या में भी अंतरराष्ट्रीय साजिश दिखती है।
कारण, उस समय पूंजीवाद और साम्यवाद के बीच लड़ाई चल रही थी। इस लड़ाई में एक पक्ष सोवियत संघ और दूसरा अमेरिका था। दोनों ही पूरी दुनिया पर अपना वर्चस्व बनाने के लिए ऐसे लोगों को समाप्त करा देने पर तुले थे जो उनकी नीतियों से सहमत नहीं थे।
(Source. AU)
के.एन. गोविंदाचार्य |
आज केंद्र में ऐसी सरकार है जो इस मामले की उच्चस्तरीय जांच करा सकती है और सारे सही तथ्य लोगों के सामने आ सकते हैं। गोविंदाचार्य ने नाम लिए बगैर मौजूदा केंद्र सरकार पर भी निशाना साधा।
वह शुक्रवार को यहां प्रेस क्लब में दीनदयाल उपाध्याय के जन्म शताब्दी वर्ष पर आयोजित संगोष्ठी में बोल रहे थे। भारतीय नागरिक परिषद की तरफ से आयोजित इस संगोष्ठी का विषय था, ‘एकात्म मानववाद और समृद्ध भारत।’
गोविंदाचार्य ने कहा कि तत्कालीन सरकार के समय कराई गई जांच में बताया गया था कि उनकी मौत का कारण हत्या नहीं कुछ और रही है। पर, यह सही बात नहीं लगती। जिन परिस्थितियों में दीनदयाल जी की शव मिला था, उससे यह साफ था कि उनकी हत्या की गई है। हत्या में भी अंतरराष्ट्रीय साजिश दिखती है।
कारण, उस समय पूंजीवाद और साम्यवाद के बीच लड़ाई चल रही थी। इस लड़ाई में एक पक्ष सोवियत संघ और दूसरा अमेरिका था। दोनों ही पूरी दुनिया पर अपना वर्चस्व बनाने के लिए ऐसे लोगों को समाप्त करा देने पर तुले थे जो उनकी नीतियों से सहमत नहीं थे।
(Source. AU)
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