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झाबुआ. सवेरे के नाश्ते के लिए पेटलावद की एक प्रसिध्द नामचीन जगह, जहा नाश्ते के लिए काफी भीड़ रहती है।लोग नाश्ते के लिए आते है बच्चे स्कूल के लिए टिफ़िन भरवाते है और बाहर से आने जाने वाले वाहन रोक कर नाश्ते के लिए रुकते है।इसके अलावा मुकेश सेठिया के खुशमिजाज व्यक्तित्व से आकर्षित शहर के कई ग्राहक भी रेस्टोरेंट की रोनक बढ़ाते थे।
8.30 पे एक ब्लास्ट होता है।आसपास के लोगो को ये लगता हे की रेस्टोरेंट की टंकी ब्लास्ट हुई है और देखने वालो की भीड़ जमा हो जाती है।अचानक एक और ब्लास्ट होता है ,ये बेहद खतरनाक होता है।इस ब्लास्ट से जमा लोगो की भीड़ को भयानक नुकसान होता है।लगभग 100 लोगो की जान इस ब्लास्ट से जाती है और पूरा पेटलावद दर्द से कराह उठता है।
असल में क्या कारण थे ब्लास्ट के?
एक्सपर्ट की प्राथमिक जाँच में जो बात निकल के आई वो इस तरह है।
सेठिया रेस्टोरेंट के पड़ोस में सेवानिवृत शिक्षक गंगाराम जी राठौड़ का दो मंजिल भवन था,जहा राजेंद्र कांस्वा की खाद की दूकान थी।राजेंद्र कांस्वा ब्लास्टिंग का भी धंधा करता है और उसकी दूकान में ब्लास्टिंग के लिए उपयोग में लायी जाने वाली जिलेटिन का बड़ी मात्रा में स्टॉक था।असल में ये ब्लास्ट दो बार हुआ।पहले और दूसरे ब्लास्ट में लगभग 5 मिनिट का अन्तर रहा।पहले ब्लास्ट के कोई गंभीर परिणाम नहीं आये और घटना स्थल पे भीड़ जमा हो गयी।तभी दूसरा प्राणघातक ब्लास्ट हुआ और भीड़ इसका शिकार हो गयी।
झाबुआ. सवेरे के नाश्ते के लिए पेटलावद की एक प्रसिध्द नामचीन जगह, जहा नाश्ते के लिए काफी भीड़ रहती है।लोग नाश्ते के लिए आते है बच्चे स्कूल के लिए टिफ़िन भरवाते है और बाहर से आने जाने वाले वाहन रोक कर नाश्ते के लिए रुकते है।इसके अलावा मुकेश सेठिया के खुशमिजाज व्यक्तित्व से आकर्षित शहर के कई ग्राहक भी रेस्टोरेंट की रोनक बढ़ाते थे।
8.30 पे एक ब्लास्ट होता है।आसपास के लोगो को ये लगता हे की रेस्टोरेंट की टंकी ब्लास्ट हुई है और देखने वालो की भीड़ जमा हो जाती है।अचानक एक और ब्लास्ट होता है ,ये बेहद खतरनाक होता है।इस ब्लास्ट से जमा लोगो की भीड़ को भयानक नुकसान होता है।लगभग 100 लोगो की जान इस ब्लास्ट से जाती है और पूरा पेटलावद दर्द से कराह उठता है।
असल में क्या कारण थे ब्लास्ट के?
एक्सपर्ट की प्राथमिक जाँच में जो बात निकल के आई वो इस तरह है।
सेठिया रेस्टोरेंट के पड़ोस में सेवानिवृत शिक्षक गंगाराम जी राठौड़ का दो मंजिल भवन था,जहा राजेंद्र कांस्वा की खाद की दूकान थी।राजेंद्र कांस्वा ब्लास्टिंग का भी धंधा करता है और उसकी दूकान में ब्लास्टिंग के लिए उपयोग में लायी जाने वाली जिलेटिन का बड़ी मात्रा में स्टॉक था।असल में ये ब्लास्ट दो बार हुआ।पहले और दूसरे ब्लास्ट में लगभग 5 मिनिट का अन्तर रहा।पहले ब्लास्ट के कोई गंभीर परिणाम नहीं आये और घटना स्थल पे भीड़ जमा हो गयी।तभी दूसरा प्राणघातक ब्लास्ट हुआ और भीड़ इसका शिकार हो गयी।
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