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हैदराबाद। देश का आईना कहे या फिर लोक तन्त्र का चौथा स्तम्भ अब यह तबका भी शक क्या यकीन के दायरे में है। आन्ध्र प्रदेश के एक एडवोकेट ने बढ़ती पत्रकारों एवं अखबारों एवं उनके काम करने के तरीके एवं पत्रकारों की शिक्षा पर सवाल उठाये हैं।
याचिकाकर्ता का आरोप है कि यदि डाॅक्टर, वकील, ईंजीनियर,वैज्ञानिक, पाईलट, इंडियन पुलिस सर्विसेस सब की एक निर्धारित परीक्षा एवं शैक्षणिक योग्यता की आवश्यकता होती है तो देश का आईना या लोकतन्त्र के चौथा स्तम्भ कहलाने वाले पत्रकारों की भी पत्रकारिता मे डीग्री का होना अनिवार्य होना चाहिए अर्थात पत्रकार वही हो जिसके पास पत्रकारिता की डिग्री होनी चाहिए और अखबारों , न्यूज चैनलों के दफ्तरों में भी RTI लागू हों ।
कुछ तथ्यों को पेश करते हुए याचिकाकर्ता ने बताया कि कथित पत्रकार एवं अखबार, न्यूज चैनल संचालक किसी के खिलाफ लिखने में नहीं सोचते चाहे तथ्य हो या ना हों हवाला सूत्रों का दिया जाता है जबकि सूत्र कई मामलों मे झूठे पाये गये या तो सूत्र थे ही नही।
याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि पत्रकार अपनी लेखनी को बचाने के लिए सूत्र शब्द का उपयोग अब तकिया कलाम हो गया है।
हैदराबाद। देश का आईना कहे या फिर लोक तन्त्र का चौथा स्तम्भ अब यह तबका भी शक क्या यकीन के दायरे में है। आन्ध्र प्रदेश के एक एडवोकेट ने बढ़ती पत्रकारों एवं अखबारों एवं उनके काम करने के तरीके एवं पत्रकारों की शिक्षा पर सवाल उठाये हैं।
याचिकाकर्ता का आरोप है कि यदि डाॅक्टर, वकील, ईंजीनियर,वैज्ञानिक, पाईलट, इंडियन पुलिस सर्विसेस सब की एक निर्धारित परीक्षा एवं शैक्षणिक योग्यता की आवश्यकता होती है तो देश का आईना या लोकतन्त्र के चौथा स्तम्भ कहलाने वाले पत्रकारों की भी पत्रकारिता मे डीग्री का होना अनिवार्य होना चाहिए अर्थात पत्रकार वही हो जिसके पास पत्रकारिता की डिग्री होनी चाहिए और अखबारों , न्यूज चैनलों के दफ्तरों में भी RTI लागू हों ।
कुछ तथ्यों को पेश करते हुए याचिकाकर्ता ने बताया कि कथित पत्रकार एवं अखबार, न्यूज चैनल संचालक किसी के खिलाफ लिखने में नहीं सोचते चाहे तथ्य हो या ना हों हवाला सूत्रों का दिया जाता है जबकि सूत्र कई मामलों मे झूठे पाये गये या तो सूत्र थे ही नही।
याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि पत्रकार अपनी लेखनी को बचाने के लिए सूत्र शब्द का उपयोग अब तकिया कलाम हो गया है।
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