डीपीसी संतोष शर्मा की रिट पिटीशन हाईकोर्ट ने की खारिज
भ्रष्टाचार के लगे गंभीर आरोपों की कब होगी जांच?
छतरपुर। जिला शिक्षा केन्द्र में पदस्थ जिला परियोजना समन्वयक संतोष शर्मा की याचिका डब्लूपी/11167/2014 बनाम म.प्र.शासन को जबलपुर हाईकोर्ट ने दिनांक 16.9.15 को खारिज कर इनको मूल विभाग में जाने का रास्ता साफ कर दिया। डीपीसी संतोष शर्मा के ऊपर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हुए थे। हाईकोर्ट से स्टे लेकर पूरे जिले से जमकर वसूली कर रहे थे और इन्होंने पूरे जिले में अपात्रों की भर्ती कर शासन के नियमों की धज्जियां उड़ाई जिसमें इन्हें वरिष्ठ अधिकारियों का सहयोग प्राप्त था।
गौरतलब है कि राज्य शिक्षा केन्द्र भोपाल के आदेश दिनांक 15.7.14 के आधार पर 17.7.14 को जिला कलेक्टर छतरपुर ने इन्हें मूल विभाग वापिस भेज दिया था। इसके बाद डीपीसी संतोष शर्मा ने मान्. उच्च न्यायालय जबलपुर से 18.9.14 को स्टे प्राप्त कर लिया था। संतोष शर्मा द्वारा दायर की गई याचिका में मप्र शासन के अलावा स्थानीय जनप्रतिनिधि सांसद वीरेन्द्र खटीक, क्षेत्रीय विधायक ललिता यादव, जिला कलेक्टर छतरपुर को पार्टी बनाया था। इन जनप्रतिनिधियों ने इनके भ्रष्टाचार की शिकायतें विभागों में कर इनके जांच के लिए लिखा था जिसमें कलेक्टर छतरपुर ने इन पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों को सही पाया था और जिला कलेक्टर ने इन्हें मूल विभाग में वापस भेजे जाने की सिफारिश की थी शासन ने इसको गंभीरता से लेते हुए इन्हें मूलविभाग वापस कर दिया था।
मान् उच्च न्यायालय जबलपुर से स्टे के बाद सीईओ जिला पंचायत से मिलीभगत कर डीपीसी संतोष शर्मा ने भ्रष्टाचार के रिकार्ड तोड़ दिए। विभाग के पैसों का इन्होंने जमकर दुरूपयोग किया तथा अपात्रों को पदों पर बैठाया। जिसकी गंभीर जांच आवश्यक है। अब देखना यह है कि जिले के आला अधिकारी कब इन्हें मुक्त कर पूरे मामले की जांच करवाएंगे।
भ्रष्टाचार के लगे गंभीर आरोपों की कब होगी जांच?
छतरपुर। जिला शिक्षा केन्द्र में पदस्थ जिला परियोजना समन्वयक संतोष शर्मा की याचिका डब्लूपी/11167/2014 बनाम म.प्र.शासन को जबलपुर हाईकोर्ट ने दिनांक 16.9.15 को खारिज कर इनको मूल विभाग में जाने का रास्ता साफ कर दिया। डीपीसी संतोष शर्मा के ऊपर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हुए थे। हाईकोर्ट से स्टे लेकर पूरे जिले से जमकर वसूली कर रहे थे और इन्होंने पूरे जिले में अपात्रों की भर्ती कर शासन के नियमों की धज्जियां उड़ाई जिसमें इन्हें वरिष्ठ अधिकारियों का सहयोग प्राप्त था।
गौरतलब है कि राज्य शिक्षा केन्द्र भोपाल के आदेश दिनांक 15.7.14 के आधार पर 17.7.14 को जिला कलेक्टर छतरपुर ने इन्हें मूल विभाग वापिस भेज दिया था। इसके बाद डीपीसी संतोष शर्मा ने मान्. उच्च न्यायालय जबलपुर से 18.9.14 को स्टे प्राप्त कर लिया था। संतोष शर्मा द्वारा दायर की गई याचिका में मप्र शासन के अलावा स्थानीय जनप्रतिनिधि सांसद वीरेन्द्र खटीक, क्षेत्रीय विधायक ललिता यादव, जिला कलेक्टर छतरपुर को पार्टी बनाया था। इन जनप्रतिनिधियों ने इनके भ्रष्टाचार की शिकायतें विभागों में कर इनके जांच के लिए लिखा था जिसमें कलेक्टर छतरपुर ने इन पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों को सही पाया था और जिला कलेक्टर ने इन्हें मूल विभाग में वापस भेजे जाने की सिफारिश की थी शासन ने इसको गंभीरता से लेते हुए इन्हें मूलविभाग वापस कर दिया था।
मान् उच्च न्यायालय जबलपुर से स्टे के बाद सीईओ जिला पंचायत से मिलीभगत कर डीपीसी संतोष शर्मा ने भ्रष्टाचार के रिकार्ड तोड़ दिए। विभाग के पैसों का इन्होंने जमकर दुरूपयोग किया तथा अपात्रों को पदों पर बैठाया। जिसकी गंभीर जांच आवश्यक है। अब देखना यह है कि जिले के आला अधिकारी कब इन्हें मुक्त कर पूरे मामले की जांच करवाएंगे।
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