देश के इतिहास में पहली बार यह चमत्कार...
बॉम्बे उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को एक 80 वर्षीय महिला भरी अदालत में गिरफ्तार करने पहुँची!!!
Toc news
दिनांक 25 अगस्त 2015 के दिन लगभग 1.00 बजे बॉम्बे उच्च न्यायालय के जीफ जस्टिस भ्रष्ट मोहित शाह(जिन्हें उच्चतम न्यायालय की बैंच ने भी 'भ्रष्ट व नालायक' करार दिया है जिनके बहुचर्चित 'एस्सार समूह को 10,000 करोड़ रुपये का फायदा पहुँचाने वाले' फैसले को उच्चतम न्यायालय द्वारा बदला गया है, जिनकी अदालत में सलमान खान जैसे मुजरिम को 5 मिनट में जमानत मिल जाती है) को कोर्ट नं. 52 में गिरफ्तार करने पहुँची और कहा कि "मैं आपको CrP.C. 43 Criminal Procedure Act 1973 के तहत गिरफ्तार करने आई हूँ क्यूँकि अपराध की मालूमात रखनेवाले के द्वारा जानकारी ना देना गुनाह है| उसी प्रकार आपको मालूम है, कि मेरे मामलों में ये सभी न्यायाधीश पूरी तरह दोषी है अतः आपका फर्ज था कि आप उन पर मुकदमा चलाते हुये उन्हें सजा दिलाते, जो आपने नहीं किया अतः मैं आपको गिरफ्तार करने आई हूँ" जिसे सुनकर पूरी अदालत हक्का-बक्का रह गई|
उसके बाद मोहिनी कामवानी के बेटे दिलीप कामवानी को गलत तरीके से छाती दबाते हुये एक कमांडो द्वारा अदालत से बाहर लेकर जाया गया अगर उस समय थोडा भी और अधिक दबाव हो जाता तो 60 वर्ष के इस बेटे को शायद वहीं हार्ट-अटैक आ जाता| बाद में 5-6 घंटे के बाद पुलिस इंचार्ज शेंगळे द्वारा यह आश्वासन देते हुये कहा गया कि "मोहिनी कामवानी जी के डेढ वर्ष से रोके गये मामलों को सुनवाई के लिये लिया जायेगा" तब मोहिनी जी वहाँ से गईं और दूसरे दिन 26.8.2015 को अपने मामलों की सुनवाई की तारीख लेने के लिये फिर से बॉम्बे उच्च न्यायालय पहुँची मगर रजिस्ट्रार के साथ मीटिंग का बहाना बनाते हुये उन्हें शाम 6.00 बजे तक रोके रखा गया बाद में जब अदालत बंद हो गई तो सुबह 11.00 बजे आने के लिये कहा गया जिसकी वजह से मोहिनी कामवानी जी ने कहा कि "हम रात भर यहीं रहेंगे" मगर पुलिस अधिकारियों के द्वारा हाथ जोडे जाने की वजह से वे वापस घर आ गये|
उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद भी जज अपने साथ 4 अन्य पुलिसवालों को भी बचा रहा है क्या मोहित शाह उच्चतम न्यायालय से भी ऊपर अपने आप को समझते हैं? इसकी पूरी शिकायत मोहिनी कामवानी जी द्वारा उच्चतम न्यायालय को भी दी गई थी जब कुछ नहीं हुआ तो मोहिनी कामवानी जी को संविधान की धारा का उपयोग करते हुये मोहित शाह को गिरफ्तार करने के लिये उनकी अदालत में जाना पड़ा उनका कहना है कि "वे जबतक उन्हें गिरफ्तार नहीं कर लेंगी तब तक रोज उनकी अदालत जाती रहेंगी"|
अब वे आज फिर से अदालत में जायेंगे अगर उनका केस सुनवाई के लिये नहीं लिया गया तो वे फिर से मोहित शाह को गिरफ्तार करने उनके कोर्ट रूम में जायेंगे|
पूरे मामले की जानकारी मोहिनी कामवानी जी मोब. 9920412577 से प्राप्त कर सकते हैं|
धन्यवाद!
मुकेश ठाकुर
मोब. 8146761055
जज एड्वोकेट पीड़ित ऑर्गेनाईजेशन(जपो)
http://www.15082013.bvbja.com
http://www.bvbja.com/EmailReply.aspx?Pg=313&Rnd=12521612071891420691130120
http://www.bvbja.com/EmailReply.aspx?Pg=315&Rnd=12521612071891420691130120
बॉम्बे उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को एक 80 वर्षीय महिला भरी अदालत में गिरफ्तार करने पहुँची!!!
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दिनांक 25 अगस्त 2015 के दिन लगभग 1.00 बजे बॉम्बे उच्च न्यायालय के जीफ जस्टिस भ्रष्ट मोहित शाह(जिन्हें उच्चतम न्यायालय की बैंच ने भी 'भ्रष्ट व नालायक' करार दिया है जिनके बहुचर्चित 'एस्सार समूह को 10,000 करोड़ रुपये का फायदा पहुँचाने वाले' फैसले को उच्चतम न्यायालय द्वारा बदला गया है, जिनकी अदालत में सलमान खान जैसे मुजरिम को 5 मिनट में जमानत मिल जाती है) को कोर्ट नं. 52 में गिरफ्तार करने पहुँची और कहा कि "मैं आपको CrP.C. 43 Criminal Procedure Act 1973 के तहत गिरफ्तार करने आई हूँ क्यूँकि अपराध की मालूमात रखनेवाले के द्वारा जानकारी ना देना गुनाह है| उसी प्रकार आपको मालूम है, कि मेरे मामलों में ये सभी न्यायाधीश पूरी तरह दोषी है अतः आपका फर्ज था कि आप उन पर मुकदमा चलाते हुये उन्हें सजा दिलाते, जो आपने नहीं किया अतः मैं आपको गिरफ्तार करने आई हूँ" जिसे सुनकर पूरी अदालत हक्का-बक्का रह गई|
उसके बाद मोहिनी कामवानी के बेटे दिलीप कामवानी को गलत तरीके से छाती दबाते हुये एक कमांडो द्वारा अदालत से बाहर लेकर जाया गया अगर उस समय थोडा भी और अधिक दबाव हो जाता तो 60 वर्ष के इस बेटे को शायद वहीं हार्ट-अटैक आ जाता| बाद में 5-6 घंटे के बाद पुलिस इंचार्ज शेंगळे द्वारा यह आश्वासन देते हुये कहा गया कि "मोहिनी कामवानी जी के डेढ वर्ष से रोके गये मामलों को सुनवाई के लिये लिया जायेगा" तब मोहिनी जी वहाँ से गईं और दूसरे दिन 26.8.2015 को अपने मामलों की सुनवाई की तारीख लेने के लिये फिर से बॉम्बे उच्च न्यायालय पहुँची मगर रजिस्ट्रार के साथ मीटिंग का बहाना बनाते हुये उन्हें शाम 6.00 बजे तक रोके रखा गया बाद में जब अदालत बंद हो गई तो सुबह 11.00 बजे आने के लिये कहा गया जिसकी वजह से मोहिनी कामवानी जी ने कहा कि "हम रात भर यहीं रहेंगे" मगर पुलिस अधिकारियों के द्वारा हाथ जोडे जाने की वजह से वे वापस घर आ गये|
उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद भी जज अपने साथ 4 अन्य पुलिसवालों को भी बचा रहा है क्या मोहित शाह उच्चतम न्यायालय से भी ऊपर अपने आप को समझते हैं? इसकी पूरी शिकायत मोहिनी कामवानी जी द्वारा उच्चतम न्यायालय को भी दी गई थी जब कुछ नहीं हुआ तो मोहिनी कामवानी जी को संविधान की धारा का उपयोग करते हुये मोहित शाह को गिरफ्तार करने के लिये उनकी अदालत में जाना पड़ा उनका कहना है कि "वे जबतक उन्हें गिरफ्तार नहीं कर लेंगी तब तक रोज उनकी अदालत जाती रहेंगी"|
अब वे आज फिर से अदालत में जायेंगे अगर उनका केस सुनवाई के लिये नहीं लिया गया तो वे फिर से मोहित शाह को गिरफ्तार करने उनके कोर्ट रूम में जायेंगे|
पूरे मामले की जानकारी मोहिनी कामवानी जी मोब. 9920412577 से प्राप्त कर सकते हैं|
धन्यवाद!
मुकेश ठाकुर
मोब. 8146761055
जज एड्वोकेट पीड़ित ऑर्गेनाईजेशन(जपो)
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