बैतूल से रामकिशोर पंवार (टाइम्स ऑफ क्राइम)
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ननद भौजाई के इस बहुचर्चित छात्रावास में एक दर्जन में से अधिक छात्राओं ने बीते छ: माह से स्कूल और छात्रावास आना ही छोड़ दिया है। स्कूली नाबालिग छात्रा के अचानक स्कूल छोडऩे के सवाल पर अधिक्षिका का पलटवार रहता है कि मुझे डीपीसी, बीआरसी, से लेकर छात्राओं के पालकों ने इतना परेशान कर रखा है कि मैं जहर खाकर आत्महत्या कर लूंगी। मैं विधवा हूं मेरे साथ छात्रावास नहीं आने वाली छात्राओं को छात्रावास वापस लाने के लिए जाने पर उनके पालक किस करते हैं।
मुझे सब लोग परेशान करते हैं? मेरा पति और सास-ससुर तक मर चुके हैं..? मेरे देवर जेठ तक मुझ पर बुरी नजर रखते हैं। मैं किस -किस को खुश करू या मैं कैसे खुश रहूं मुझे समझ में नहीं आ रहा है। छात्रावास के उपस्थित रजिस्टर में आधी से अधिक छात्राएं बीती 18 फरवरी से शिवरात्री के लिए अपने गांव गई हैं तो अभी तक नहीं लौटी हैं। इधर ग्राम पंचायत रानीपुर के पूर्व सरपंच पूरनलाल स्वंय कहते हैं कि छात्रावास ननद और भौजाई का चारागाह बन चुका है। ऐसे कई छात्राएं प्रताडऩा मानसिक यातना एवं कम भोजन देने के चलते छात्रावास में रूकना ही पसंद नहीं कर रही हैं। कई ने तो स्कूल आना ही छोड़ दिया है। कक्षा पहली से लेकर आठवी तक की एक दर्जन से अधिक ऐसी छात्राएं हैं जो बीते छ: माह से छात्रावास एवं स्कूल में आना ही छोड़ चुकी हैं।
छात्रावास अधिक्षिका अपने महिला एवं विधवा होने का डर बता कर पूरे ग्राम पंचायत क्षेत्र में आंतक का दूसरा नाम बन चुकी है। पूरनलाल स्वंय कहते हैं कि यहां पर तो जाने पर बार-बार एक ही धमकी मिलती है कि मुझे परेशान किया तो मैं आत्महत्या कर लूंगी। छात्रावास अधिक्षिका ने अपने काले कारनामों एवं छात्रावास में व्यापत भ्रष्टाचार को दबाने के लिए आत्महत्या की धमकी को हथियार बना रखा है। ग्राम पंचात नीमढाना की ऐसी छात्राओं से छात्रावास एवं स्कूल न जाने के कारणों के बारे में पूछा तो उनके पालक एवं छात्राएं रो पड़ती हैं। इनका आरोप है कि मात्र तीन कमरों में नाबालिग छात्राओं के साथ एक कमरे में छात्रावास का पुरूष चपरासी सोता है लेकिन छात्रावास अधिक्षिका अपने बच्चों के साथ अपने गांव में रहती है। पूरा छात्रावास उसके लिए किसी सैर सपाटे से कम नहीं है। पड़ौसी गांव महेन्द्र वाड़ी में शिक्षिका के अतिरिक्त प्रभार में पदस्थ श्रीमति सावित्री प्रजापति पर आरोप है कि उसकी पदस्थापना के बाद से पूरे छात्रावास परिसर में अनैतिक कार्यो का अड्डा बन गया है। यहां की गतिविधियों से पूरी ग्राम पंचायत रानीपुर ही नहीं बल्कि यहां का बच्चा-बच्चा तक जानता है कि यहां पर क्या गुल खिलाएं जा रहे हैं। जब बैतूल से गए पत्रकारों की टीम ने छात्रावास से एक दो नहीं बल्कि लगभग आधी छात्राओं को बीते दस दिनो से न आने के कारणों को जानना चाहा तो बेहद चौंकाने वाले तथ्य सामने आए।
ग्राम पंचायत के रानीपुर के नीमढाना से मात्र आधा पौन किलोमीटर दूर लगे रानीपुर बैतूल सडक़ मार्ग से लगे घोड़ाडोंगरी जनपद क्षेत्र के इस आवसीय बालिका छात्रावास केन्द्र की स्थापना बीते वर्ष 2006 में हुई थी तभी से छात्रावास सुर्खियों में रहा है। छात्रावास अधिक्षिका श्रीमति सावित्री प्रजापति एवं उसकी रिश्तेदार सहायक वार्डन के पास इस बात का कोई जवाब नहीं है कि बीआरसी घोड़ाडोंगरी श्री मानेकर से लेकर डीपीसी एसएस चौहान को उसके द्वारा इस बात की जानकारी क्यों नहीं दी गई कि बीते दस दिनों से आधी से ज्यादा नाबालिग छात्राएं छात्रावास परिसर में नहीं हैं तथा एक दर्जन से स्कूल और छात्रावास ही आना छोड़ दिया है..?
श्रीमति सावित्री प्रजापति बार-बार डीपीसी, बीआरसी तथा अन्य लोगों पर मानसिक, शारीरिक तथा आर्थिक प्रताडऩा का आरोप लगाती हुई धमकियां देती है कि वह आत्महत्या कर लेगी...? सवाल यह उठता है कि बैतूल से सारनी व्हाया रानीपुर सडक़ मार्ग पर स्थित छात्रावास में व्यापत भ्रष्टाचार से बड़ी समस्या बनी छात्राओं की अनुपस्थिति से उनकी पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है तथा उनका भविष्य भी चौपट हो रहा है। इधर पालक अपनी बेटियों को छात्रावास में भेजना बंद कर रहे हैं। ग्राम नीमढाना की आधा दर्जन नाबालिग छात्राएं मात्र पौन किलोमीटर दूर स्थित छात्रावास के तीन कमरे में फर्श पर सोने को तैयार नहीं हैं। एक छात्रावास को प्रति छात्रा साढ़े सात सौ रूपया जिसमें बीस रूपए पचास पैसे मात्र प्रतिदिन के भोजन के हिसाब से मिलता है लेकिन भोजन ऐसा है कि अपने आप देखने वालों को उल्टियां आनी शुरू हो जाएगी। प्रदेश की भाजपा सरकार एवं केन्द्र सरकार शिक्षा के अधिकार की जोर -शोर से बातें करती हैं लेकिन रानीपुर छात्रावास को देख कर नहीं लगता कि यहां पर ऐसा कुछ है।
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