बाजपेयी चाचा नहीं रहे
बैतूल जिले के सबसे पहले दर्जे के वरिष्ठ पत्रकार एवं जिला कांग्रेस कमेटी बैतूल के महामंत्री पंडित सुरेश बाजपेयी का दुखद निधन हो गया। बाजपेयी जी ने दैनिक नवभारत से 1948 के दौर में पत्रकारिता से जुडे थे। बैतूल जिले के पहले पत्रकार थे जिन्होने नवभारत के लिए पत्रकारिता की शुरूआत एक पोस्टकार्ड से शुरू की थी। उनके अनुसार पोस्टकार्ड पर भेजी गई खबर पूरे एक सप्ताह में छपती थी लेकिन उस दौर में बैतूल की एक भी खबर पूरे समाचार पत्र से पूरे महिने और साल लोगो को जोड कर रख्ती थी। कांग्रेस विचार धारा से जुडे स्वतंत्र भारत में सच की लडाई लडने वाले सुरेश बाजपेयी को हाल ही में ब्राहमण समाज के सम्मेलन में सम्मानित किया गया। कुछ दिन पहले उनका एक्सीडेंट भी हुआ था जिसके चलते उन्हे ममता श्रीवास्तव के हास्पीटल मे भर्ती करवाया गया। अपनी लम्बे कद और सफेद पैजामा - कुर्ते के चलते बाजपेयी चाचा दूर से ही पहचाने जाते थे। अपनी पैदल चाल एवं बेबाक लेखनी के लिए वे अकसर जाने - जाते थे। कांग्रेस के जिला महामंत्री वे उस दौर वे रहे जब कांग्रेस संगठन को बडे - बडे नेताओं का आर्शिवाद प्राप्त था। वे एक सफल नीडर एवं निर्भिक पत्रकार रहे। उनकी पत्रकारिता की लोग आज भले ही मिसाल न बन पाए लेकिन वे स्वंय आज की भावी पीढी मंे स्वंय को देखते थे। पंडित द्धारका पस्राद मिश्रा के खास समर्थक रहे पंडित बाजपेयी को प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री पंडित रविशंकर शुक्ल के दोनो बेटे विद्याचरण शुक्ल एवं श्यामाचरण शुक्ल काफी मान सम्मान देते थे। उन्होने इन सभी कांग्रेस के शीर्ष नेताओं के साथ काम किया था। अपने जीवन के 84 बसंत में प्रवेश कर चुके पंडित सुरेश बाजपेयी अपने पीछे एक पुत्र एवं एक पुत्री को छोड कर चले गए। कोठी बाजार स्थित मोक्षधाम पर उनके पुत्र पप्पु बाजपेयी ने उन्हे मुखाग्नि दी। श्री बाजपेयी के दुखद निधन से पत्रकारिता जगत का एक सूरज आकाश गंगा में विलुप्त हो गया। ''टाइम्स ऑफ क्राइम'' परिवार उनके निधन पर अपने श्रद्धासुमन अर्पित करता है।
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