Tuesday, March 6, 2012

दोषी कौन?

-डॉ.शशि तिवारी-

इस लेख को लिखने का आशय किसी के पक्ष या विपक्ष में खड़े होने का कतई नहीं है और न ही किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का हैं। वक्त का तकाजा है चिंतन अब इस बात का हो कि क्या गलत है, क्या सही है? सत्य-सत्य रहेगा, असत्य-असत्य रहेगा। व्याख्याओं, निजी स्वार्थों से, परिस्थितियों, स्थितियों का हवाला दे लोगों को भ्रमित तो किया जा सकता है लेकिन झुठलाया नहीं जा सकता। यह निर्विवाद सत्य है कि मंदिर हमेशा पवित्र होता है? मंदिर की महत्ता उसके पुजारी से बढ़-घट या खण्डित भी हो सकती है। यह निर्भर करता है कि पुजारी का आचार, व्यवहार चरित्र कैसा है? हो सकता है कि पुजारी ये मान बैठे, भ्रमपाल बैठे की भगवान पर केवल उसी का अधिकार है भक्त का नहीं? पुजारी का ये अहंकार ही अतिवादी हो उसे उसकी नैतिकता से गिरा देता है? मंदिर का पुजारी व्यवस्था का एक अंग हो सकता है, वह भक्त हो यह जरूरी नहीं है। हो सकता है कि यही से भक्त - पुजारी के बीच अधिकारों को ले लड़ाई छिड़ जाए और पुजारी भक्त का मंदिर में प्रवेश न देने को अपना अधिकार और मंदिर का अपमान का बहाना बना अपनी गलतियों को भगवान के अपमान का बहाना बना सारा का सारा दोष भक्त के ही माथे पर मढ दें। यहां भक्तों का दायित्व होगा कि भ्रष्ट पुजारियों को मंदिर की गरिमा बनाए रखने के लिये उसे बाहर का रास्ता दिखाए।

आज देश के लोकतंत्र के मंदिर के साथ भी कुछ ऐसा ही घटित हो रहा है, इसके लिये जनता उतनी दोषी नहीं है जितना कि राजनीतिक दल। जब ये ही भ्रष्टाचारियों, बालात्कारियों, अपहरण, डकैती के प्रकरणों में फंसे आरोपित दागदारों को पार्टियां टिकिट देगी तो ऐसे में जनता कर ही क्या सकती है सिवाय इसके कि बुरे और बहुत बुरे के बीच किसी एक को चुनें। लोकतंत्र के नाम पर जितनी हानि राजनीतिक पार्टियों ने कानून की कमियों का फायदा ले उठाया शायद ही कोई ऐसा करता हो। देश के लोकतंत्र के मंदिर को पाक साफ बनाए रखने की जवाब देही राजनीतिक पार्टियों की है? विपरीत परिणाम होने पर असली गुनाहगार भी ये ही होगी? क्या जनता को यह हक है कि यदि उसका जनप्रतिनिधि बलात्कारी, कालेधन का चोर, आदतन अपराधी है तो उसे अपराधी कहें? जबकि कानून अभी तक उस पर लगे आरोप सिद्ध नहीं हुए हैं? राजनितिक पार्टियों में क्या यह बहस का मुद्दा नहीं बन सकता? क्या यह संसद का अपमान है? यह भी यक्ष प्रश्न है क्यों, जानबूझकर राजनीतिक पार्टियों आरोपित लोगों को संसद में भेजना चाहती है? लोकतंत्र के नाम पर हम जनता और दुनिया में किस तरह का संदेश देना चाहते हैं? चिंतन तो इस बात पर भी होना चाहिये क्यों राजनीतिक पार्टियां बुरे लोगों के समर्थन में पैरवी करती है? क्यों नही चुनाव सुधार में पहल कर ऐसों को आने से रोकने का प्रयास करती है? डर - भय किस बात का?

कमोबेश अतिवादी अरविंद केजरीवाल ने जिस तरह पूरी संसद को घेरा है, निःसंदेह उसे कहीं से भी उचित नहीं ठहराया जा सकता। राजनीतिज्ञों का भड़कना स्वभाविक है जबकि अरविंद केजरीवाल अपने दिये गए बयानों पर अड़ि़ग है अरविंद के बयान के एवज् में तमाम राजनीतिक बयान वीरों ने अपनी-अपनी भड़ास निकाल डाली। कांग्रेस के राशिद अल्वी तो इसे जनता की बेइज्जती मानते हैं, सपा नेता मोहन सिंह इसे असभ्य भाषा मानते हैं, मुख्तार अब्बास नकवी लोकतंत्र में ऐसे बयान स्वीकार नहीं किये जा सकते यह व्यवहार भारतीय लोकतंत्र और संविधान के प्रति अविश्वास है, रामविलास पासवान इसे लोकतंत्र पर हमला मानते हैं, लालू यादव की पार्टी में रामकृपाल यादव, केजरीवाल के खिलाफ विशेषाधिकार हनन के प्रस्ताव की बात कहते हैं, भाजपा के हृदेश दीक्षित केजरीवाल पर राजद्रोह का मुदमा चलाने की बात कहते हैं।

यहां सवाल यह नहीं है कि अरविंद केजरीवाल सही हैं या गलत लेकिन जाने अनजाने में हमारे माननीयों के लिये कुछ यक्ष प्रश्न जरूर उठ खडे हो चिंतन मनन के लिये मजबूर जरूर करते हैं? मसलन भारतीय संविधान के अनुच्छेद 105 में माननीयों को संसद/विधान सभाओं में अभिव्यक्ति के लिये विशेषाधिकार संपन्न बनाया गया है, अर्थात् उनकी कही गई किसी बात, कृत्य हरकत के खिलाफ किसी भी कोर्ट में मुकद्मा नहीं चल सकता! इसके पीछे शायद संविधान निर्माताओं की यही मंशा रही होगी ताकि मानवीय अपनी बात बिना किसी भय, कानूनी पचड़े में पड़े बिना कह सके। स्वस्थ बहस जन मुद्दों पर हो सके क्या मर्यादा के अनुरूप हमारे माननीय व्यवहार कर रहे हैं? दूसरा संविधान के अनुच्छेद 19 जिसमें प्रत्येक नागरिक केा अभिव्यक्ति का अधिकार दिया गया है, उसका क्या? वहीं अनुच्छेद 25 में अंतःकरण की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता साम्प्रदायिकता का भी रूप ले लेती है? तीसरा अपराधी जेल से चुनाव तो लड़ सकता है भाग्य विधाता तो बन सकता है लेकिन सभी कैदी मतदान नहीं कर सकते ऐसा क्यो? राजनीतिक पार्टियां क्यों नही शासकीय नियमों की भांति अपने लिये वैधानिक सुचरित्रवाली बनाते?

आज भी संसद, विधान सभाओं में अच्छे लोगों की मात्रा ज्यादा है, अपवाद हर जगह हो सकते हैं? सभी लोगों को मिल खुले मन से इस बात पर पार्टी स्तर से ऊपर उठ न केवल बहस छेड़ना चाहिये बल्कि इस बुराई को दूर करने के लिये यदि कानून में कोई कमी है तो उसे भी संवैधानिक तरीके से संशोधित करना चाहिये, ताकि एक समाज के माध्यम से लोकतंत्र को और भी मजबूत किया जा सके। निःसंदेह भारत का लोकतंत्र कई देश भक्त लोगों की कुर्बानियों का नतीजा है। इसे किसी भी कीमत पर क्षीण नहीं होने देने की जवाबदेही भी ईमानदार जनप्रतिनिधियों की ही है, आखिर बड़े लोगों की जवाबदेही भी अधिक होती है।
मानव सेवा भाव में उम्र की कोई सीमा नहीं होती चूंकि, जनप्रतिनिधि शासकीय खजाने से पगार, पेंशन लेता है, इसलिये इनके पुलिस सत्यापन की व्यवस्था क्यों न हो? इसके अभाव में क्यों न ऐसे लोगों को वंचित रखा जाए? आरोपित जनप्रतिनिधियों के खिलाफ बाकी के ईमानदार जनप्रतिनिधि विरोध क्यों नहीं करते?

-डॉ.शशि तिवारी-

No comments:

Post a Comment

CCH ADD

CCH ADD
CCH ADD

dhamaal Posts

जिला ब्यूरो प्रमुख / तहसील ब्यूरो प्रमुख / रिपोर्टरों की आवश्यकता है

जिला ब्यूरो प्रमुख / तहसील ब्यूरो प्रमुख / रिपोर्टरों की आवश्यकता है

ANI NEWS INDIA

‘‘ANI NEWS INDIA’’ सर्वश्रेष्ठ, निर्भीक, निष्पक्ष व खोजपूर्ण ‘‘न्यूज़ एण्ड व्यूज मिडिया ऑनलाइन नेटवर्क’’ हेतु को स्थानीय स्तर पर कर्मठ, ईमानदार एवं जुझारू कर्मचारियों की सम्पूर्ण मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ के प्रत्येक जिले एवं तहसीलों में जिला ब्यूरो प्रमुख / तहसील ब्यूरो प्रमुख / ब्लाक / पंचायत स्तर पर क्षेत्रीय रिपोर्टरों / प्रतिनिधियों / संवाददाताओं की आवश्यकता है।

कार्य क्षेत्र :- जो अपने कार्य क्षेत्र में समाचार / विज्ञापन सम्बन्धी नेटवर्क का संचालन कर सके । आवेदक के आवासीय क्षेत्र के समीपस्थ स्थानीय नियुक्ति।
आवेदन आमन्त्रित :- सम्पूर्ण विवरण बायोडाटा, योग्यता प्रमाण पत्र, पासपोर्ट आकार के स्मार्ट नवीनतम 2 फोटोग्राफ सहित अधिकतम अन्तिम तिथि 30 मई 2019 शाम 5 बजे तक स्वंय / डाक / कोरियर द्वारा आवेदन करें।
नियुक्ति :- सामान्य कार्य परीक्षण, सीधे प्रवेश ( प्रथम आये प्रथम पाये )

पारिश्रमिक :- पारिश्रमिक क्षेत्रिय स्तरीय योग्यतानुसार। ( पांच अंकों मे + )

कार्य :- उम्मीदवार को समाचार तैयार करना आना चाहिए प्रतिदिन न्यूज़ कवरेज अनिवार्य / विज्ञापन (व्यापार) मे रूचि होना अनिवार्य है.
आवश्यक सामग्री :- संसथान तय नियमों के अनुसार आवश्यक सामग्री देगा, परिचय पत्र, पीआरओ लेटर, व्यूज हेतु माइक एवं माइक आईडी दी जाएगी।
प्रशिक्षण :- चयनित उम्मीदवार को एक दिवसीय प्रशिक्षण भोपाल स्थानीय कार्यालय मे दिया जायेगा, प्रशिक्षण के उपरांत ही तय कार्यक्षेत्र की जबाबदारी दी जावेगी।
पता :- ‘‘ANI NEWS INDIA’’
‘‘न्यूज़ एण्ड व्यूज मिडिया नेटवर्क’’
23/टी-7, गोयल निकेत अपार्टमेंट, प्रेस काम्पलेक्स,
नीयर दैनिक भास्कर प्रेस, जोन-1, एम. पी. नगर, भोपाल (म.प्र.)
मोबाइल : 098932 21036


क्र. पद का नाम योग्यता
1. जिला ब्यूरो प्रमुख स्नातक
2. तहसील ब्यूरो प्रमुख / ब्लाक / हायर सेकेंडरी (12 वीं )
3. क्षेत्रीय रिपोर्टरों / प्रतिनिधियों हायर सेकेंडरी (12 वीं )
4. क्राइम रिपोर्टरों हायर सेकेंडरी (12 वीं )
5. ग्रामीण संवाददाता हाई स्कूल (10 वीं )

SUPER HIT POSTS

TIOC

''टाइम्स ऑफ क्राइम''

''टाइम्स ऑफ क्राइम''


23/टी -7, गोयल निकेत अपार्टमेंट, जोन-1,

प्रेस कॉम्पलेक्स, एम.पी. नगर, भोपाल (म.प्र.) 462011

Mobile No

98932 21036, 8989655519

किसी भी प्रकार की सूचना, जानकारी अपराधिक घटना एवं विज्ञापन, समाचार, एजेंसी और समाचार-पत्र प्राप्ति के लिए हमारे क्षेत्रिय संवाददाताओं से सम्पर्क करें।

http://tocnewsindia.blogspot.com




यदि आपको किसी विभाग में हुए भ्रष्टाचार या फिर मीडिया जगत में खबरों को लेकर हुई सौदेबाजी की खबर है तो हमें जानकारी मेल करें. हम उसे वेबसाइट पर प्रमुखता से स्थान देंगे. किसी भी तरह की जानकारी देने वाले का नाम गोपनीय रखा जायेगा.
हमारा mob no 09893221036, 8989655519 & हमारा मेल है E-mail: timesofcrime@gmail.com, toc_news@yahoo.co.in, toc_news@rediffmail.com

''टाइम्स ऑफ क्राइम''

23/टी -7, गोयल निकेत अपार्टमेंट, जोन-1, प्रेस कॉम्पलेक्स, एम.पी. नगर, भोपाल (म.प्र.) 462011
फोन नं. - 98932 21036, 8989655519

किसी भी प्रकार की सूचना, जानकारी अपराधिक घटना एवं विज्ञापन, समाचार, एजेंसी और समाचार-पत्र प्राप्ति के लिए हमारे क्षेत्रिय संवाददाताओं से सम्पर्क करें।





Followers

toc news