गोपाल भैया का इंजीनियर ढाई करोड़ खा गया
अवधेश भार्गव
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आरईएस के चीफ इंजीनियर एन.के.गुप्ता के संरक्षण में कार्यपालन यंत्री आर.एस.मेघवाल ने बैतूल में ढाई करोड़ की खरीदारी पंचायतों के माध्यम से बिना टेंडर कर के ताबड़तोड़ 200 किलोग्राम प्रति सेंटीमीटर क्रशिंग स्ट्रेथ के बजाय 60 कि.ग्रा. प्रति वर्ग सेंटीमीटर के खम्बे खरीदे गए। गाढ़े कांक्रीट के होने से खंबों में दरारे पड़ गई, सरियों में भी जंग लग गई, सरिए भी दस एमएम के बजाय पांच एमएम के रहे। खंबों का मानक माप भी 434 और 636 हंच होना चाहिए था वह भी नहीं था, खरीदे गए खंबों का लोड टेस्ट भी नहीं कराया गया। कटीले तार भी कम गेज और निम्र स्तर के खरीदे गए। इनके बीच हजारों पौधे लगाना बताया गया जिनमें 95 प्रतिशत पौधे मर गए। हां ढाई करोड़ के लगभग इंजीनियर साहब हजम कर गए।
राष्ट्रीय रोजगार समाचार बैतूल में ढ़ाई करोड़ रूपए से अधिक राशि की हेरा फेरी वर्ष 2010-11 में बैतूल में पदस्थ आरईएस के कार्यपालन यंत्री मेघवाल ने तत्कालीन प्रभारी रहे मुख्य अभियंता एन के गुप्ता के प्रिय पात्र थे, ने बड़ी सफाई से योजना को पलीता लगाया ही, किंतु सारे नियमों को भी अनदेखी की। भारतीय मानक स्तर को एक तरफ रख विभागीय क्रय नियमों को भी ताक पर रख और पंचायतों के संरपंचों के माध्यम से दो-दो लाख रूपये के टुकड़े मे खरीदी कर पूरे कार्य को अंजाम दिया। जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी, तकनीकी स्टॉफ एवं कलेक्टर आंख बंद कर सब देखत रहे। जो वृक्षारोपण किया गया उसमे भी 95 प्रतिशत पौधे मर गए।
विभिन्न शिकायतों के बावजूद किसी ऐजेेंसी, जिसमें लोक आयुक्त भी शामिल है, ने भी किसी प्रकार की जांच नहीं की। बस आर एस मेघवाल को विदिशा स्थानांतरित कर और मलाईदार जगह पर बैठा दिया। बैतूल जिले के आमला डाक बंगले से छावनी तक बैतूल शहर में शाहपुर मार्ग, छिंदवाड़ा मार्ग, मुलताई मार्ग पर हजारों की संख्या में वृक्षारोपण किया गया था। सडक़ के दोनो ओर किए गए वृक्षारोपण में उपयोग में लाए गए सीमेंट के खंबे अपनी कमजोरी व इसमें हुए भ्रष्टाचार के परिस्थितिजन्य साक्ष्य है। लगभग ढाई करोड़ की खरीदारी पंचायतों द्वारा कराई गई, जिसमें सीमेंट के खंबे व कटीले तार जो कम गेज के थे, खरीदे गए। कार्यपालन यंत्री के द्वारा प्रत्येक पंचायत से दो-दो लाख की ये सामग्री सिर्फ कोटेशन के आधार पर की गर्र्ई। क्रय भी टुकड़ों में, किश्तों में किया गया। यह खरीदारी जो जिला स्तर पर सक्षम अधिकारी के मरार्गदर्शन में टेण्डर की प्रकिया पूर्ण कर स्पेसिफिकेशन के अनुरूप की जा सकती थी, किन्तु क्रय जान-बूझ कर सरपंचों से कराया गया और अपना हित साधा गया। सीमेंट के खंबों का विभिन्न प्रकार लोड टेस्ट करवाना अनिवार्य है। जो मानक के अनुरूप होना चाहिए, जिससे खराब या घटिया स्तर के खंबे ठेकेदार प्रदाय न कर सके, किंतु मेघवाल जी ने किसी प्रकार का परीक्षण कराया ही नहीं और सारा माल लेते चले गए। यदि लोड टेस्ट कराया जाता और जिला पंचायत सीईओ को अथवा कलेक्टर को बताया जाता तो शायद कमीशन के बावजूद भी कभी वे इस खरीदी पर राजी नही होते और महत्वपूर्ण वृक्षारोपण योजना को पलीता न लगता, न ही 95 प्रतिशत पौधे मरते।
यदि रोपित पौधे का सघन सुपरविजन किया गया होता तो इन पौधे के रख-रखाव, सिंचाई, खाद वृक्षारोपण तथा चौकीदार, मजदूर आदि पर किया गया व्यय व्यर्थ न जाता। किंतु अब तो नतीजा सिर्फ करोड़ों रूपये हेराफेरी के रूप में सामने है। भारतीय मानक क्रमांक 4996-1984 में क्लॉज बी-3 में स्पष्ट प्रावधान है कि जानवरों का प्रवेश रोकने के लिए कंटीले तार से फेंसिंग पोस्ट के निर्माण में लंबाई में नाप 10 एमएम व्यास के 4 नग सरिया व आड़े में 6 एमएम व्यास के 15 सेंटीमीटर के अंतराल से स्ट्रेनर पोस्ट व स्ट्रट पोस्ट का उपयोग 30 मीटर केंद्र से केंद्र में तथा आखिरी सीरे पर होगा। जिसकी लम्बाई 1.85 मीटर होगी, किंतु लगाए गए खांचे व स्ट्रेनर पोस्ट मानक के अनुरूप नहीं है। ग्रामीण यांत्रिकी विभाग की एसओआर के अनुसार आयटम क्र. 927 पृष्ट क्र. 46 में स्पष्ट उल्लेख है कि प्रचलित सीमेंट कांक्रीट उपयोग में लाया जावे, 2 मीटर लंबा, 15 सेंटीमीटर नीचे की काट तथा 10 सेंटीमीटर बाय 10 सेंटीमीटर ऊपर की काट होगी, किंतु इस प्रावधान का भी पालन नहीं किया गया।
भारतीय मानक 225-1962 टाइप-1 में बारवेट वायर, फसिंग तार के सेम्पल लेने के बारे में है कि प्रत्येक 500 पोल से एक सेम्पल लेकर टेस्ट क्लॉज 7.2 सी-2 तथा 7.1 एवं सी-2 जरे ऊपर वर्णित किया जा चुका हँ, के अनुसार जांच किया जाना चाहिए, किंतु किसी प्रकार का लोड टेस्ट या क्वालिटी टेस्ट करवाया ही नही गया। कांक्रीट पूरी तरह बोदा है, जिसका मान एम-7 से अधिक नहीं है, जबकि एम-20 होना चाहिए। सरफेस स्मूथ नहीं है। बारीक-बारीक गड्ढे व दरार थी कांक्रीट के खंबे बनाने में डेंस कांक्रीट लिया गया न ही बाइब्रेटर का उपयोग किया गया। फेंसिग पोस्ट निर्माण में 4 नग सरिए जो 10 एमएम के स्थान पर 5 एमएम का सरिया लगाया गया है। 6 एमएम क सरिए के स्थान पर 4 एमएम का सरिया तथा स्पेसिंग 15 मीटर के स्थान पर 20 से 30 सेंंटीमीटर किया गया है। स्ट्रेनर पोस्ट 30 मीटर के अंतराल से होना चाहिए थी किंतु स्ट्रेनर पोस्ट को कई स्थानों पर लगाए ही नहीं गए कांक्रीट भी लाईन पोस्ट के अनुसार कमजोर है, ये भी आवश्यक मात्रा मे नहीं लगाए गए। सीमेंट कांक्रीट के खंबों का माप भी कम है 15 बाय 15 सेंटीमीटर की बजाय 12 बाय 12 संटीमीटर तथा 10 बाय सीएम के बजाय जिसकी लंबाई 2.30 मीटर, वजन 9.38 ग्रा.प्रति 100 मीटर होगा। ग्रामीण यांत्रिकी विभाग के एसओआर में भी इसा आयटम का वर्णन है जो आयटम कग्र.0926 में लिया गया है। किंतु इस योजना मे प्रयुत कंटीला स्तरहीन है। भारतीय मानक क्र.4996-1984 के लॉज तथा 7.1 तथा सी-1.2 में इम्पेट लोक टेस्ट के बारे स्पष्ट प्रावधान है कि 20.01 की वजनी धातु की छड़ को निर्दिष्ट ऊंचाई से छोड़ा जाएगा और सतत पर मार्च देखा जाएगा कि पड़ी या नहीं। लाईन पोस्ट के लिए 115 एमएम स्ट्रेमर पोस्ट के लिए 500 एमएम स्ट्रट के लिए 90 एमएम किंतु लोड टेस्ट करवाया ही नही गया। स्टेटिक लोड टेस्ट के लिए निर्धारित वजन डालने पर 700 एम,स्ट्रेनर पोस्ट 2500 एम, स्ट्रट के लिए 450 एम, इसी मानक क्र. के क्लाज ईआईआई एवं एफ-1 -13 में स्पष्ट उल्लेख टेस्टिंग होना चाहिए किंतु स्ट्रेमर पोस्ट तो कई स्थानों पर लगाए ही नहीं गए, कांक्रीट भी लाइन पोस्ट के अनुसार ही कमजोर हैं।
ये सभी आवश्यक मात्रा में नहीं लगाए गए। सीमेंट कांक्रीट के खंबों का माप भी कम है। 15 से.मी. के बजाय 12312 सी-एम 10310 सी एमके बजाय 88 सीएम है बारबेट वायर का वजन जो 100 मीटर में 9.38 किग्राम होना चाहिए वह 8.5 केग्रर ही था। कई स्थानों पर डायगोनल पॉवर नहीं लगाए गए। किसी प्रकारी के टेस्ट या सेम्पल मेघवाल जी ने न लिए न कराए। इस परियोजना में सरकार को करोड़ों का चूना मेघवाल ले लगाया है और वृक्षारोपण परियोजना सभी नष्ट हो गई। किंतु नतीजे में उनके विरूद्ध कोई कार्रवाई तो नहीं बल्कि इनाम के तौर और अधिक मलाईदार जगह विदिशा में पदस्थ की दिया गया है। अब देखना है कि गोपाल भैया क्या करते है।
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