ब्यूरो चीफ / कमलेश गौर (रायसेन/ टाइम्स ऑफ क्राइम)
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श्रमजीवी पत्रकार संघ की जिला ईकाई का चुनाव विवादों के घेरे मे आ गया है। नियम विरूद्ध हुये चुनाव को लेकर जिले के पत्रकारों में बहुत ज्यादा आक्रोश बना हुआ है, और तत्काल प्रभाव से जिला इकाई भंग कर विधिवत चुनाव कराने की मांग की गई है।
दरअसल जिला इकाई के चुनाव संबंधी कोई आधिकारिक जानकारी पत्रकारों को नहीं दी गई थी। बिना निर्वाचन संंबंधी अधिसूचना के हुए तथाकथित चुनाव में प्रक्रिया की अनिवार्यता जैसे मतदाता सूची का प्रकाशन आपत्तियॉ, और दावे और विधान की प्रतिलिपि उपलब्ध कराने का स्पष्ट उल्लघंन किया गया। मनमाने तरीके से हो रहे चुनाव के विरोध में अध्यक्ष पद के उम्मीदवार संजय शर्मा सहित बड़ी संख्या में पत्रकारों ने मौके पर ही लिखित सूचना देकर चुनाव का बहिष्कार कर दिया।
संदिग्ध चुनाव अधिकारी-निर्वाचन अधिकारी सुनील धाकड़ को बनाया गया था और निर्वाचन पर्यवेक्षक हेमंत प्रसाद थे। बिना किसी अधिकृत पत्र के सांची के शिक्षक हेमंत श्रीवास्तव को सह निर्वाचन अधिकारी के रूप में चुनाव प्रक्रिया संपन्न कराने की जिम्मेदारी दे दी गई। निर्वाचन अधिकारी की अनुपस्थिति में इस तथाकथित सह निर्वाचन की विधिमान्य प्रक्रिया को अनदेखा करते हुए मनमाने तरीके से चुनाव करा दिया गया। इसमें खास बात यह भी है कि सांची के शिक्षक हेमंत श्रीवास्तव ने रायसेन में चुनाव कराने के लिये विभागीय अधिकारी और प्रशासनिक अधिकारी से नियमानुसार अनुमति नहीं ली।
गैर पत्रकारों ने किया मतदान-मतदाता सूची का प्रकाशन न होने से किसी को न तो सदस्यों के बारे में जानकारी थी और ना ही आपत्ति दर्ज कराने का समय दिया गया। सूची देखने से साफ होता है कि ज्यादातर गैर पत्रकारों को आनन-फानन में सदस्य बनाकर चुनाव की रस्म अदा की गई है। जिला जनसंपर्क कार्यालय ने भी इस बात पुष्टि की है कि मतदाता सूची में दर्ज ज्यादातर नाम जनसंपर्क कार्यालय की सूची मे नहीं है।
करेंगे विरोध- पत्रकारों ने म.प्र. श्रमजीवी संघ को इस बात से स्पष्ट तौर पर अवगत करा दिया है कि पत्रकारों के नाम पर इस तरह हो रहे फर्जीवाड़ा का पुरजोर विरोध करेंगे। अगर जिला ईकाई का निर्वाचन अवैध घोषित कर पुन: विधिवत चुनाव नहीं कराये जाते तो जिले के वास्तविक पत्रकार म.प्र. श्रमजीवी पत्रकार संघ से नाता तोडक़र एक ऐसा संगठन बनाऐंगे जो वास्तव में पत्रकारों का प्रतिनिधि संगठन होगा। जिले के पत्रकारों के एक प्रतिनिधि मंडल ने म.प्र. श्रमजीवी पत्रकार संघ के अध्यक्ष शलभ भदौरिया से भेंट कर साफ कर दिया है कि अगर निष्पक्ष कार्यवाहीं नहीं हुई तो वे न्यायालय में मामला ले जाने से भी परहेज नहीं करेंगे।
दरअसल जिला इकाई के चुनाव संबंधी कोई आधिकारिक जानकारी पत्रकारों को नहीं दी गई थी। बिना निर्वाचन संंबंधी अधिसूचना के हुए तथाकथित चुनाव में प्रक्रिया की अनिवार्यता जैसे मतदाता सूची का प्रकाशन आपत्तियॉ, और दावे और विधान की प्रतिलिपि उपलब्ध कराने का स्पष्ट उल्लघंन किया गया। मनमाने तरीके से हो रहे चुनाव के विरोध में अध्यक्ष पद के उम्मीदवार संजय शर्मा सहित बड़ी संख्या में पत्रकारों ने मौके पर ही लिखित सूचना देकर चुनाव का बहिष्कार कर दिया।
संदिग्ध चुनाव अधिकारी-निर्वाचन अधिकारी सुनील धाकड़ को बनाया गया था और निर्वाचन पर्यवेक्षक हेमंत प्रसाद थे। बिना किसी अधिकृत पत्र के सांची के शिक्षक हेमंत श्रीवास्तव को सह निर्वाचन अधिकारी के रूप में चुनाव प्रक्रिया संपन्न कराने की जिम्मेदारी दे दी गई। निर्वाचन अधिकारी की अनुपस्थिति में इस तथाकथित सह निर्वाचन की विधिमान्य प्रक्रिया को अनदेखा करते हुए मनमाने तरीके से चुनाव करा दिया गया। इसमें खास बात यह भी है कि सांची के शिक्षक हेमंत श्रीवास्तव ने रायसेन में चुनाव कराने के लिये विभागीय अधिकारी और प्रशासनिक अधिकारी से नियमानुसार अनुमति नहीं ली।
गैर पत्रकारों ने किया मतदान-मतदाता सूची का प्रकाशन न होने से किसी को न तो सदस्यों के बारे में जानकारी थी और ना ही आपत्ति दर्ज कराने का समय दिया गया। सूची देखने से साफ होता है कि ज्यादातर गैर पत्रकारों को आनन-फानन में सदस्य बनाकर चुनाव की रस्म अदा की गई है। जिला जनसंपर्क कार्यालय ने भी इस बात पुष्टि की है कि मतदाता सूची में दर्ज ज्यादातर नाम जनसंपर्क कार्यालय की सूची मे नहीं है।
करेंगे विरोध- पत्रकारों ने म.प्र. श्रमजीवी संघ को इस बात से स्पष्ट तौर पर अवगत करा दिया है कि पत्रकारों के नाम पर इस तरह हो रहे फर्जीवाड़ा का पुरजोर विरोध करेंगे। अगर जिला ईकाई का निर्वाचन अवैध घोषित कर पुन: विधिवत चुनाव नहीं कराये जाते तो जिले के वास्तविक पत्रकार म.प्र. श्रमजीवी पत्रकार संघ से नाता तोडक़र एक ऐसा संगठन बनाऐंगे जो वास्तव में पत्रकारों का प्रतिनिधि संगठन होगा। जिले के पत्रकारों के एक प्रतिनिधि मंडल ने म.प्र. श्रमजीवी पत्रकार संघ के अध्यक्ष शलभ भदौरिया से भेंट कर साफ कर दिया है कि अगर निष्पक्ष कार्यवाहीं नहीं हुई तो वे न्यायालय में मामला ले जाने से भी परहेज नहीं करेंगे।
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