उच्चाधिकारियों के आदेशों का नगरपालिका शहडोल कर रही खुलेआम उल्लंघन
प्रतिनिधि // संतोष कुमार गुप्ता (शहडोल // टाइम्स ऑफ क्राइम)
प्रतिनिधि से सम्पर्क : 94243 30959
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शहडोल. पिछले वर्ष 2011 से लगातार जन सुनवाई के माध्यम से वार्ड नं. 19 स्थित कच्चे मकान को तोडऩे का आदेश दिया गया जो आज तक ज्यों का त्यों पड़ा है। उच्चाधिकारियों द्वारा पालिका को आदेशित भी किया गया परंतु पालिका न जाने इस मकान को क्यो नही गिरा पा रही है। वहीं वार्डवासियों का कहना है कि पालिका कर्मचारी आते तो हैं परंतु देखकर वापस चले जाते हैं इस टूटे भवन से इन पालिका कर्मचारियों को कितना लगाव है जिससे वे तोड़ नही पा रहे।
वार्ड नं. 19 निवासी दिनेश मिश्रा द्वारा बताया गया हे कि उनके निवास के अतिरिक्त कई दुकानें व अन्य परिवार निवासरत है परंतु घर के पीछे गुलाबचंद रिछारिया नामक व्यक्ति परिवार सहित रह रहे हैं जो कि काफी अर्से से कच्चे भवन का उपयोग करते आ रहे हैं जो काफी पुराना व जीर्णशीर्ण अवस्था में है जिसका सुधार भी नही करवा रहे। इस मकान का आधा हिस्सा गिर गया तथा आधा कभी भी गिर सकता है जिससे आसपास के रहने वालों को काफी नुकसान व क्षति पहुंच सकती है आये दिन कहीं लकड़ी टूटती है तो कभी मिट्टी गिर रही है। आसपास के लोगों में दहशत है जिसके कारण कई बार नगरपालिका मे आवेदन किया गया परंतु नगरपालिका परिषद सुनने को तैयार नही तब पालिका में जनसुनवाई के माध्यम से पुन: आवेदन किया गया जिसको दिनांक 30/12/2011 में प्रस्तुत किया गया। जिसमें आज तक कोई कार्यवाही नही की गयी जबकि इस संबंध में पूरे मोहल्ले वालों ने उक्त भवन गिराने के लिए पालिका को आवेदन किया फिर उच्चाधिकारियों के समक्ष आवेदन कर उन्हे अवगत कराया गया।
एस. डी. एम. सोहागपुर के पास किया आवेदन
इस भवन के संबंध में एस. डी. एम. सोहागपुर से भी अपनी-अपनी व्यथा सुनाते हुए आवेदन प्रस्तुत किया गया जो 22/07/2011 को लिखित आवेदन दिया गया जिसमें नगरपालिका को उक्त भवन तोडऩे को निर्देशित किया गया परंतु पालिका उनके आदेशों को पालन करने की बजाए जारी आदेश को रद्दी की टोकरी में फेंक कर निश्ंिचत हो गया। जबकि पूरे मोहल्ले वालेां ने शीघ्र तोडऩे के लिए आवेदन दिया था पर अभी तक न तो राजस्व विभाग ने अपनी ताकत दिखाई और न ही पालिका। इससे यह तो स्पष्ट है कि भवन में रहे रहे रिछारिया परिवार से प्रशासन डरता है या रकम लेकर बड़े घटना का इंतजार किया जा रहा है।
कलेक्टर जनसुनवाई भी रही उदासीन
जब नगरपालिका व एस. डी. एम. के यहां सुनवाई नही हुई तब मोहल्ले वालों में से दिनेश मिश्रा द्वारा कलेक्टर के यहां अपनी व्यथा सुनाने पहुंचे जहां आवेदन लेकर एक कागज का टुकड़ा थमा दिया गया जो शायद रसीद है परंतु क्या जन सुनवाई मे आवेदन देकर रसीद प्राप्त करना ही लोगों का उद्देश्य है या फिर उनके द्वारा किये गये प्रस्तुत आवेदन पत्रों पर भी गौर किया जायेगा। उक्त मकान के संबंध में कलेक्टर के पास दो बार आवेदन किया गया जिसमें जनसुनवाई आवेदन क्रमांक 8627/24/01/12 एवं 8789/21/02/12 परंतु जिला कार्यालय के पास से भी कोई सुनवाई न होने से मोहल्ले वाले निराश हो गये और वे यह सोचने लगे कि अगर जिला प्रशासन एक पुराना भवन तोडऩे में असफल है और उदासीन है तो फिर पूरे जिले में चल रहे भ्रष्टाचार को कैसे रोक सकेगी यह एक बहुत बड़ी समस्या है।
कमिश्नर से हुई शिकायत
जिले के अधिकारियों से निराश वार्ड क्रमांक 19 के रहवासियों ने संभागायुक्त के समक्ष पहुंचकर अपनी-अपनी समस्या सुनाते हुए आवेदन प्रस्तुत किये जिसमें पत्र क्रमांक 4756/10/01/12 एवं 4851/17/01/12 में पुराने भवन के संबंध में जानकारी दी जिसमें कमिश्नर द्वारा नपा को तत्काल लिखा गया कि विधिवत समुचित कार्यवाही शीघ्र करें। परंतु नगर पालिका अधिकारी को किसी भी तरह का कोई असर नही पड रहा है जबकि उक्त भवन को गिराने में किसी तरह का सोच-विचार नही करना चाहिए परंतु शायद पालिका अधिकारी किसी दबाव में उक्त भवन पर कार्यवाही करने में डर रहे हैं।
न्यायालय के आदेशो को मानने से इंकार
इस भवन को गिरवाने मे पालिका अधिकारी व प्रभारी न जाने कब से आनाकानी करते आ रहे हैं जबकि दिनांक 23 दिसंबर 11 को स्पष्ट न्यायालय प्रथम अपर न्यायाधीश ने लेख किया है कि व्योव्हार प्रक्रिया संहिता 1908 के आदेश 43 नियम 1 (आर) के अंतर्गत व्यवहार वाद क्रमांक 114 अ/11 में पािरत आदेश दिनांक 25/11/11 से क्षुब्ध होकर प्रस्तुत की गयी है जिसे आदेश के द्वारा जब कोई अवशेष ही नही है तो किसी प्रकार के आदेश की आवश्यकता ही नही है। पालिका तत्काल भवन गिराकर लोगों को राहत दे अन्यथा पालिका की लापरवाही समझी जायेगी। फिर भी पालिका अधिकारी पर कोई असर नही उन्हें पता नही कि किस बात का डर है जो मकान गिराने पर हो।
थाने में भी की थी शिकायत
प्रार्थी दिनेश मिश्रा ने कोतवाली मे लिखित शिकायत की थी कि उसके माकान में रहने वाले किरायेदार गुलाबचंद्र रिछारिया द्वारा उसके मकान में आग लगा दिये। मिश्रा का कहना है कि वे उन दिनों किसी कार्य से सतना गये हुए थे वहां से लौटने के बाद उन्होंने अपने किरायेदार रिछारिया से पूछा तो उल्टा गाली-गलौज करने लगा जबकि आसपास के लोगों ने बताया कि रिछारिया ने ही आग लगा दिया था। जिसमे थाने से आज तक व जांच की गयी और न ही किसी तरह की कार्यवाही की गयी। जबकि दिनांक 11/09/11 को थाने में शिकायत दर्ज कराया गया था जो आज भी शून्य है कार्यवाई। लोग इस बात से हैरान है कि आखिर नगरपालिका अधिकारी व प्रभारी कलेक्टर, कमिश्नर व कोर्ट के आदेशों केा नही मान रही तो जनता की क्या खाक मानेगी। अगर दो दिन के अंदर नगरपालिका उक्त भवन को नही गिरवाती तो उन्हे मजबूरन स्वयं ही उक्त भवन के प्रति मिलकर गिराना होगा। इसमें किसी तरह की शिकायत व कार्यवाही करने वाले अधिकारियों के ऊपर भी जनता अपने अनुसार दण्ड देगी। क्योंकि शासन-प्रशासन का न्याय देख लिया गया अब जनता का न्याय जिला प्रशासन देखेगी।
विगत एक वर्ष से यानि जब से एस. डी. एम. गजेन्द्र सिंह नागेश प्रभारी अधिकारी का पद सम्हालें हैं तब से नपा में लापरवाही प्रारंभ हो गया किसी भी अधिकारी को दो पद न देना चाहिए वरन दोनों कार्यो मे लापरवाही होती है। इनके द्वारा न तो राजस्व का कार्य पूर्ण हेाता है और न ही नपा का। इनके द्वारा जारी किये गये आदेशो की कलेक्टर ऐसे निरस्त करते है जैसे एक छोटा सा बालक किसी खिलौने को तोड़ता हो जैसे। जब इनसे किसी भी मामले का फैसला करते नही बन रहा तो क्यों ऐसे मामलो को अपने हाथो मे लेते हैं।
इनका कहना है
नगरपालिका अधिकारी से पूछने पर कहा गया कि मुझे ऐसी कोई जानकारी नही है और न ही इस संबंध में कोई निर्देश मिला है। जब तक प्रभारी अधिकारी के आदेश नही होतेे तब तक हम लोग किसी के मकान को गिराने मे असमर्थ है। जिस दिन प्रभारी अधिकारी आदेश जारीे कर देंगे उसी दिन भवन गिरा दिया जायेगा। नपा अधिकारी,सुधाकर सिंह
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प्रभारी अधिकारी ने बताया कि अभी जांच नही हो पाई है जांच के बाद ही कुछ निर्णय लिया जायेगा। वैसे भवन जीर्णशीर्ण है इसमे कई आवेदन आये है पर आवश्यक कार्यो में कर्मचारी उलझे रहे इसलिए विलंब हो गया है जल्द ही इस ओर कार्यवाही की जायेगी।
एस. डी. एम. व प्रभारी अधिकारी नपा गजेन्द्र सिंह नागेश
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मेरे पास आवेदन आये हुए थे जिसमें मेरे कार्यालय द्वारा तत्काल एस. डी. एम. की ओर सूचना जारी कर जांच हेतु निर्देश दिया गया था। अगर कार्यवाही नही हुई तो मै स्वयं नपा व एस. डी. एम. से जानकारी लूंगा। कलेक्टर शहडोल, नीरज दुबे
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मेरे पास तीन बार दिनेश मिश्रा द्वारा लिखित शिकायत किया गया जिसमें तत्काल नगर पालिका अधिकारी को सूचना भेज दिया गया था। अगर उनके द्वारा लापरवाही की गयी है तो उन्हे लापरवाही का दण्ड अवश्य मिलेगा। ऐसे लापरवाह तमाम कर्मचारियों के ऊपर कड़ी कार्यवाही की जायेगी।
कमिस्नर, प्रदीप खरे
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कोतवाली थाना प्रभारी ने बताया कि दो आवेदन पडे है जांच नहीं हो सकी जल्द ही जांच कर रिपोर्ट पुलिस अधीक्षक के समक्ष भेज दिया जायेगा।
थाना प्रभारी, चंद्रगुप्त द्विवेदी
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