Wednesday, March 28, 2012

लुटेरा कौन?

लुटेरा कौन?

डा. शशि तिवारी
भारत सोने की चिडि़या था और अभी भी है जिसे पहले आतताईयों ने लूटा, जिसमें हमारे ही विश्वासघाती एवं देशद्रोहियों ने इनका साथ दे देश की सम्पदा की लूट में भरपूर योगदान भी दिया था। लेकिन यहां हमें मालूम था कि लुटेरा एवं देशद्रोही कौन है? निःसन्देह उन्होंने भी अपने लूट के धन्धे का धर्म निभाया। लेकिन, हमारे वीर सपूतों ने भारत की आजादी का सपना, अपना बलिदान, अपने लोगों की रक्षा एवं अंग्रेज लुटेरों को भगाने के लिए किया था। भारत स्वतंत्र भी हो गया लेकिन देखा जाए तो आज भी केवल चेहरे, मोहरे और शासक ही बदले है। पहले विदेशी लूट रहे थे, अब अपने ही लूट खसूट में लग यहां के पैसों को विदेशों में भेजने का कार्य कर रहे है, कुछ तो स्वार्थ में इतने अन्धे हो गये है कि विदेशी कंपनियों को फायदा पहुंचाने अथवा अपने करीबी के फायदे में लिप्त हो देश के धन को क्षति पहुंचा न केवल देश को लूट रहे है बल्कि देश के साथ धन के मामले में विश्वासघात भी कर रहे है जो किसी देशद्रोह से कम नहीं है? अब इंतिहा हो गई है जनता पूछ रही है लुटेरा कौन?
नीतियां एवं सिद्धांतों की दुहाई देते न थकने वाले नेताओं को जब भी, कहीं भी मौका मिला भारत को चूना लगाने में किसी भी तरह की लापरवाही नहीं बरती फिर बात चाहे 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाले की हो, कामवेल्थ गेम्स घोटाला, सत्यम घोटाला, बोफोर्स घोटाला, चारा घोटाला, हवाला घोटाला, हर्षद मेहता शेयर घोटाला, केतन पारेख और शेयर घोटाला या घोटालों का महाघोटाला कोयला घोटाला की हैं।
 
हमारे देश के कर्णधार नेताओं एवं नागरिकों का चरित्र, बेशर्मी, बे हया तो देखिए ऐसा कर्म करते हुए ये तनिक भी नहीं सोचते कि हम किसे लूट रहे है। ये गद्दारी किसके साथ कर रहे है? उस जनता के साथ जिसने चुनकर विश्वास व्यक्त किया या देश के साथ जिसने जीने की स्वतंतत्रता दी, जिम्मेदारी एवं बेहतरी करने की अपेक्षा की? या दोनों के साथ?
 
यूं तो लोकतंत्र के नाम पर नेता स्वार्थ सिद्धी के लिए ढेरों पार्टियांें का गठन कर अपनी दुकान सजाने में जुट जाते है। क्या कभी देश के बारे में भी सोचा? इस देश में कई नेता तो ऐसे है जिनका कोई भी व्यवसाय नहीं है फिर भी अरबपति है कैसे? अल्प समय में अरबों की सम्पत्ति इन पर कहां से आई? कौन सा व्यवसाय किया? यह एक जांच का विषय भी हो सकता है लेकिन, इस पर सभी पार्टियां मौन है आखिर क्यों
 
 
 
 
देश की प्राकृतिक संपदा (खनिज, वन एवं जल) को ठेकेदारों, माफियों के साथ मिल संबंध रखने वाले जिम्मेदार जनप्रतिनिधि, मंत्री, अधिकारी लूट में शामिल हो क्या देश के साथ विश्वासघात नहीं कर रहे है? यदि हां तो सजा क्यों नहीं? अभी महाघोटाला अर्थात् काला हीरा अर्थात् ऊर्जा का भण्डार जिसमें कोयला खदानों की बंदरबांट से देश को 10.67 लाख करोड़ की आय की चपत की आशंका है। हकीकत में कैग ने 150 कोयला खदान की नीलामी में 10.67 हजार करोड़ के घोटाले की आशंका व्यक्त की है। 2004 से 2009 के बीच लगभग 100 प्रायवेट एवं कुछ पब्लिक सेक्टर कंपनियों को बिना नीलामी के ही ब्लाक आवंटन कर खनन की अनुमति दे दी गई थी। यदि, यही नीलामी के माध्यम से आवंटन किया जाता तो सरकार को न केवल इतने का ही फायदा होता बल्कि ग्रेड आधारित रेट अधिक होने से और भी अधिक फायदा हो सकता था।
 
 निःसंदेह यहां देश के राजस्व की ही क्षति हुई है, वही कंपनियों की पौ बारह भी हो गई। ये घोटाला भी कुछ-कुछ 2 जी स्पेक्ट्रम जैसा ही प्रतीत होता है। सच जो भी हो सभी का मुंह कही काला न हो सरकार की यहां अब और भी जवाबदेही बनती है कि पारदर्शी तरीके से कार्य एवं जांच कर असली दोषी को शीघ्र चिन्हित करें एवं जनता के प्रति उत्तरदायित्व के धर्म को निभाए। इस मामले में विपक्ष भी अपनी जवाबदेही से किसी भी तरह से बच नहीं सकता कहीं ये इनकी मिली भगत का खेल तो नहीं? हालांकि कैग की अंतिम रिपोर्ट अभी संसद के पटल पर आई ही नहीं है, अभी से सरकार बचाव की मुद्रा में आ गई है। चूंकि अभी अधिकाधिक रिपोर्ट कैग के द्वारा सरकार को प्रस्तुत ही नहीं की गई है। यह तो रिपोर्ट का मात्र लीकेज है। ये तो वक्त ही बताएगा। एक न एक दिन सच जल्दी ही देशवासियों के सामने आ ही जाएगा। अभी ना ही मीडिया और ना ही विपक्षियों को भी ज्यादा उतावले होने की जरूरत हैं। 
 
यहां एक बात तो निर्विवाद रूप से सत्य है कि देश के लुटेरों के लिए माननीयों को देशहित सर्वोपरि रखने के लिए एवं जनता का विश्वास जीतने के लिए समयबद्ध प्रकरणों के निपटारे, आवश्यकता पड़ने पर संविधान में आवश्यक संशोधन देश हित के लिए करना ही होगा ताकि देश के धन एवं प्राकृतिक सम्पदा के लुटेरों पर देश के साथ विश्वासघात का मुकद्मा चलें। देश को लुटने से बचाने में ईमानदार माननीयों को पहल करना ही चाहिए। आखिर देश एवं जनसेवा के लिए आवाम ने जो इन्हें अधिकार सम्पन्न बना भेजा है उसका क्या?

(लेखिका ‘‘सूचना मंत्र’’ पत्रिका की संपादक हैं)
मो. 09425677352
(शशि फीचर)
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