मानवता के साथ ममता
हुई शर्मसार
रेलवेट्रैक पर नवजात
लाड़ली को मरने को छोड़ा
नवजात बच्चें को मिट्टी
में जिंदा दफन किया
संवेद जैन दमोह-10 मार्च
मप्र के दमोह में ममता का गला घोटने के दो मामले सामने आए है। इमलाई गांव में एक
नवजात बच्चें को मिट्टी में जिंदा दफन कर दिया गया। वहीं एक नवजात बच्चीं को बोरी में
बंद करके रेलवेट्रैक के बीच में डाल दिया
गया।
मानवता के साथ ममता को शर्मसार कर देने के दोनो ही मामलों में नवजात बच्चों को जिंदा बचा
लिया गया है। इनकों जिला अस्पताल में मशीनों पर रखकर नवजीवन देने का प्रयास किया जा
रहा है। वहीं अस्पताल में भर्ती एक महिला अपने बच्चें के साथ-साथ दोनों लावारिसों को
अपना दूध पिलाकर अपनी ममता को लुटा रही है।
दमोह के बांदकपुर स्टेशन पर देर रात विंधायाचल एक्सप्रेस के निकलने के बाद गैंगमैन
को रेलवेट्रैक के बीच एक बोरी पड़ी हुई दिखी।
बोरी में से रोने की आवाज सुनकर जब इसे खोला गया तो बोरी में से एक नवजात बच्ची निकली।
इधर इमलाई गांव में एक खेत में से रोने की आवाज आने पर जब मिट्टी को हटाया गया तो एक
नवजात बच्चा मिला। डाक्टर ने दोनों बच्चों की उम्र उम्र दो से तीन दिन के बीच बताई
है। वहीं पुलिस दोनों मामलों में निर्दयी परिजनों का पता लगाने की कोशिश कर रही है।
होली जैसे पावन पर्व पर माता के कुमाता बन जाने के इन दोनों मामलों ने लोगों को
झकझोर कर रख दिया है। जन्म देने वाली मां की ऐसी क्या मजबूरी थी जो उसने निर्दयीता
की सारी हदे पार कर दी ? इस सवाल का जबाव निर्दयी परिजनों का पता लगने पर ही मिल सकता
है।
एक तरफ जन्म देने वाली दो माताओं ने अपने जिगर के टुकड़ों को मरने के लिए छोड़
दिया वहीं जिला अस्पताल में भर्ती एक अन्य महिला दोनों लावारिस नवजात को अपना दूध पिलाकर
उन पर अपनी ममता लुटा रही है। वहीं अस्पताल के शिशु वार्ड में मशीनों पर रखकर दोनों
नवजात को नवजीवन देने में डाक्टर व स्टाफ जुटा हुआ है। मप्र में शिवराज सरकार द्वारा
बेटी बचाओं अभियान चलाए जाने के बावजूद इस तरह के नजारे अक्सर सामने आ रहे है। ऐसे
में बेटी बचाओं अभियान तथा लाड़ली लक्ष्मी जैसी योजनाओं के इमानदारी से क्रियावयन पर
सवालिया निशान लगने लगे है।
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