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हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार से पूछा है कि सूबे में गोवंश वध प्रतिबंधित है तो दूसरे जानवरों को काटने पर सरकार अपनी नीति स्पष्ट करे। कोर्ट ने कहा कि सरकार जानवरों को काटने पर प्रतिबंध नहीं लगा सकती है। उसे छोटे जानवरों को काटने की व्यवस्था करनी होगी। कोर्ट ने कहा कि क्या सरकार चाहती है कि लोग मांस न खाएं।
इस संबंध में कोर्ट ने प्रदेश सरकार से 20 जुलाई तक जवाब मांगा है। गोरखपुर में स्लाटर हाउस नहीं होने के खिलाफ दिलशाद कुरैशी और 120 अन्य की जनहित याचिका पर मुख्य न्यायमूर्ति डीबी भोसले और न्यायमूर्ति एमके गुप्ता की पीठ सुनवाई कर रही है।
अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने कोर्ट को बताया कि प्रदेश में गोवंश की हत्या पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। पशुओं के वध को नियंत्रित करने का सरकार को अधिकार है। एनजीटी और सुप्रीमकोर्ट के आदेश के तहत अवैध बूचड़ खाने बंद करा दिए गए हैं।
कोर्ट का कहना था कि सरकार लोगों के मांस खाने के अधिकार पर प्रतिबंध नहीं लगा सकती है। उसे छोटे जानवरों को काटने के लिए व्यवस्था करनी होगी। वैसे भी 15 छोटे जानवरों को काटने के लिए लाइसेंस की आवश्यकता नहीं है। कोर्ट ने जानना चाहा कि स्लाटर हाउस बनाने में सरकार को क्या अड़चन आ रही है।
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इससे पूर्व सुनवाई में महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह ने कोर्ट को बताया था कि गोरखपुर में जमीन उपलब्ध नहीं होने के कारण स्लाटर हाउस बनाने में देरी हो रही है। इस पर कोर्ट ने नाराजगी जताई थी तथा सरकार को अपना रुख स्पष्ट करने का निर्देश दिया था। याचिका पर 20 जुलाई को सुनवाई होगी।
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